मंडी गोबिंदगढ़ (पंजाब): पंजाब के बठिंडा में एक ऐसी शादी हुई है जो हर किसी को हैरान कर रही है. दुल्हन ने सिर पर सेहरा बंधा और दूल्हे के हाथों में मेहंदी रची. हाथ में किरपान के साथ लड़की बरात लेकर लड़के के घर गई. लड़के वालों ने लड़की का स्वागत वैसे ही किया, जैसे आम शादियों में दूल्हे का किया जाता है. शादी हुई. लड़का अपने परिवार वालों से गले मिलकर रोया. फिर डोली में बैठकर अपने घर से विदा हुआ.
लड़की के घर पहुंचने के बाद उसका स्वागत इस तरह किया गया, जैसे ससुराल में नई बहू का होता है. उसने बाकायदा लड़की का सरनेम अपनाया. अब वह पत्नी के साथ उसी के घर रहेगा. लड़की अपने माता-पिता का इकलौता सहारा. – जिसकी शादी हुई उस लड़की का नाम बलजीत और लड़के का सुखमिंदर है. 12वीं पास 30 साल के सुखमिंदर एलआईसी में एडवाइजर है.
शादी के बारे में पूछने पर उसने कहा, “मेरे घर में एक छोटा भाई और बहन है जो मां-पापा का ध्यान रख लेंगे. लेकिन बलजीत अपने माता-पिता का इकलौता सहारा है. अगर वो भी शादी कर मेरे घर आ जाती तो उन्हें कौन देखता. मैं अपना ट्रांसफर भी यहीं करा लूंगा.”- वहीं 12वीं पास 27 साल की बलजीत बुटीक का काम करती है. उसने कहा, “मेरे घर में मुझसे बड़ी चार बहनें हैं. एक भाई था, लेकिन वो नहीं रहा. इस तरह की शादी से मैं अपने माता-पिता के साथ रहकर उनका ध्यान रख पाऊंगी.”डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने कराई शादी- यह शादी बीते 26 फरवरी को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मौजूदगी में हुई.
वकील ने दोनों परिवारों की सहमति से कानूनी तौर पर भी शादी करवाई.- दरअसल, ये नई रस्में डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 127 मानवता भलाई कार्यों में से एक है. इसमें शादी को कुल का क्राउन नाम दिया गया है.- इसका उद्देश्य यह बताना है कि आगे का वंश लड़की वालों की तरफ से चलेगा. इसलिए लड़की शादी कर ससुराल नहीं जाती, बल्कि लड़के को ब्याह कर अपने घर लाती है. फिर दोनों वहीं साथ रहते हैं.
इस रिवाज से यह 19वीं शादी थी.लड़की की मां बोलीं- बेटी ने लड़का नहीं, मेरा बेटा मेरी बहू ब्याह लाया है- बलजीत की मां जसविंदर ने कहा, “मेरी बेटी लड़के को लेकर नहीं आई है, बल्कि मैं तो ये कहूंगी कि मेरा बेटा मेरे लिए बहू ब्याह कर लाया है. अगर ये ऐसा न करती तो हमारे बाद घर पर ताला लग जाता. अभी मैं बहुत खुश हूं. हमारा वंश बेटी की तरफ से आगे बढ़ेगा.