नई दिल्ली: कांग्रेस ने हाल ही में वित्त मंत्रालय व केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान (सीएसओ) द्वारा पेश किए गए नोटबंदी के बाद के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए है. सरकार द्वारा हाल ही में देश की GDP पर नोटबंदी के असर को लेकर जो तस्वीर पेश की, उस पर कांग्रेस ने तमाम सरकार सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार ने सिर्फ आंकड़ेबाजी का खेल दिखाया है, कहीं भी देश की GDP पर सकारात्मक असर नहीं दिखा है. कांग्रेस का कहना था कि अगर आकड़ों पर गौर से नजर डाली जाए तो साफ पता चलता है कि देश की GDP और उत्पादन में खासी गिरावट आई है.
कांग्रेस द्वारा नोटबंदी पर आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मौजूदा सरकार को दुनिया की सबसे बुद्धिजीवी विरोधी सरकार (मोस्ट ऐंटी इंटेलेक्चुअल गवर्नमेंट) करार दिया. इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी अपनी बात रखी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के असर को खत्म होने में कम से कम एक से डेढ़ साल का समय लगेगा.
आंकड़ों की बाजीगरी: चिदंबरम
चिंदबरम ने कहा कि नोबंदी पर हुए असर को लेकर सही तस्वीर को आने में कम से कम दो तिमाही का और इंतजार करना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के बाद के आकड़ों को GDP में पेश किया, जबकि उनका कहना था कि इसका असर GDP में नहीं, बल्कि जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडिशन) में देखा जाना चाहिए. दरसअल, GDP में जीवीए के साथ-साथ टैक्स को शामिल किया जाता है और सब्सिडी को घटाया जाता है.
चिंदबरम ने सरकारी दावों की पोल खोलते हुए कहा कि जहां टैक्स बढ़ा है, वहीं सरकार ने अपना खर्च बढ़ाया है, दूसरी ओर सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम हुआ है. जाहिर है, इससे देश की GDP में बढ़ोतरी नजर आ रही है. लेकिन उनका कहना था कि अगर जीवीए पर नजर डालें तो इसमें लगातार गिरावट दिखाई देती है.
जीवीए के आंकड़ों को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि साल 2015-16 के अंतिम तिमाही में जहां जीवीए 7.42 थी, वहीं साल 2016-17 के पहले तीन तिमाहियों में यह क्रमश: 6.90, 6.69 व 6.61 रही है.
इतना ही नहीं, नोटबंदी के बाद सरकार द्वारा कृषि में बढ़े हुए उत्पादन का दावा पेश किए जाने पर कांग्रेस ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर कृषि उत्पादन बढ़ा है तो यह नोटबंदी के चलते नहीं, बल्कि अच्छे मॉनसून के चलते बढ़ा है.
चिदंबरम ने चुटकी लेते हुए कहा कि अच्छे मॉनसून का नोटबंदी से क्या लेना देना? उन्होंने कि नोटबंदी से देश के असंगठित क्षेत्र, छोटे व मझोले उद्योग व रोजाना कमाकर खाने वालों पर खासा प्रभाव पड़ा है. नोटबंदी को लेकर दुनियाभर में हुई आलोचना और उस पर सरकार के रवैए के बारे में तंज कसते हुए चिंदबरम ने कहा कि सरकार को लगता है कि कैंब्रिज, हार्वर्ड व ऑस्कफोर्ड सब बेकार हैं.
चुनाव के लिए हैं आंकड़ें: सिब्बल
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के बारे में कहा कि सरकार ने चुनाव में फायदा लेने के लिए आंकड़ों की तस्वीर GDP के रूप में पेश की है. उन्होंने कहा कि इन पूरे आकड़ों में देहात से जुड़े आंकड़ों को कहीं जोड़ा ही नहीं गया, जबकि सबसे ज्यादा नोटबंदी का असर वहीं हुआ.
उन्होंने नोटबंदी को इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम करार देते हुए मांग की कि जेपीसी गठित कर इसकी जांच होनी चाहिए. सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद से देश की आरबीआई व सीएसओ जैसी उन दो बेहद महत्वपूर्ण संस्थाओं की विश्सनीयता पर सवाल उठने शुरू हुए हैं, जिन पर आज तक सवाल नहीं किए गए.
हमारे डेटा सिस्टम को ठीक होना होगा: अहलूवालिया
मोंटेक सिह आहलूवालिया ने कहा कि अभी तक जो आंकड़े आए हैं, इसमें अनौपचारिक क्षेत्र के असर को शामिल नहीं किया गया. उनका कहना था कि जब तक इस सेक्टर के आंकड़े नहीं आ जाते, तब तक यही तस्वीर सामने नहीं आएगी. उन्होंने माना कि नोटबंदी का असर इनफॉर्मल सेक्टर पर पड़ा है, लेकिन फॉर्मल सेक्टर पर ज्यादा नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि जीएसटी अगर सही तरह से लागू होता है और मजबूत नीतियां बनाई जाती हैं तो आने वाले समय में कुछ स्थिति सुधरेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने डेटा सिस्टम को भी ठीक करना होगा, क्योंकि इस पर वेस्ट की तरफ से लगातार सवाल उठते रहे हैं.