मुंबई: करप्शन मिटाने के नाम पर देश में क्या नहीं हुआ. बड़ी बड़ी बातें की गईं. प्रधानमंत्री के भाषण में तरह-तरह की बड़ी बड़ी बातें की गईं और तो और करप्शन दूर करने की इच्छा रखने का दंड जनता को नोटबंदी और उससे होने वाली परेशानी को झेलने में दिया गया.इसके बावजूद मोदी सरकार ने देहले भर का करप्शन कम नहीं किया. देश को करप्शन कम करने के नाम पर अगर कुछ मिला तो वो था ठेंगा. भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट में देश में फैले भ्रष्टाचार का जो खुलासा हुआ है, वह शर्मसार करने वाला है. इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया पेसेफिक के 16 देशों में भारत में सबसे ज्यादा रिश्वतखोर रहते हैं. सर्वे में शामिल 69 फीसदी भारतीयों ने माना कि उन्हें घूस देनी पड़ी है, जबकि वियतनाम के 65 फीसदी, पाकिस्तान के 40 फीसदी और चीन के 26 फीसदी लोगों ने रिश्वत देने की बात कबूली. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए देश में हर 10 लोगों में से सात व्यक्तियों को भ्रष्टाचार का रास्ता चुनना पड़ता है.
सर्वे के मुताबिक, रिश्वत के मामले में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, जापान, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देश भारत से नीचे रहे और भारत का स्थान सातवां रहा. चीन सरकार की भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों के प्रति बढ़ती सख्ती के बावजूद इस बुराई की दर बढ़ती प्रतीत होती है, क्योंकि सर्वे में 73 फीसदी लोगों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उनके देश में रिश्वत का चलन बढ़ा है.
जापान में सबसे कम भ्रष्टाचार
रिपोर्ट के मुताबिक एशिया प्रशांत के 16 देशों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार भारत और सबसे कम भ्रष्टाचार जापान में है. सर्वे में जापान में सिर्फ 0.2 फीसदी लोगों ने रिश्वत देने की बात कही है, जबकि भारत में सबसे ज्यादा 40 फीसदी लोगों ने माना है कि उन्हें अपना काम कराने के लिए रिश्वत देना पड़ी. इस सर्वे में एशिया प्रशांत क्षेत्र की करीब 90 करोड़ की आबादी वाले 16 देशों के 20 हजार से अधिक लोगों ने माना कि उन्हें पिछले एक साल में कम से कम एक बार तो रिश्वत देनी ही पड़ी. सर्वे में सरकारी कर्मचारियों में पुलिसकर्मी सबसे अधिक भ्रष्ट पाए गए. सर्वेक्षण में 85 प्रतिशत ने माना कि पुलिस भ्रष्ट है. धार्मिक नेताओं के मामले में यह प्रतिशत 71 रहा .
71 प्रतिशत ने माना धार्मिक नेता भी हैं भ्रष्ट
धार्मिक नेताओं के मामले में यह प्रतिशत 71 रहा. सर्वेक्षण में केवल 14 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि कोई भी धार्मिक नेता भ्रष्ट नहीं है, जबकि 15 प्रतिशत उनके भ्रष्ट तरीकों से वाकिफ नहीं थे. पुलिस के बाद पांच सर्वाधिक भ्रष्ट श्रेणी में सरकारी अधिकारी (84 प्रतिशत) , कारोबारी अधिकारी (79 फीसदी) , स्थानीय पार्षद (78 प्रतिशत) और सांसद (76 फीसी) रहे जबकि कर अधिकारी छठे स्थान (74 फीसदी) पर हैं.
भ्रष्टाचार मिटाने के लिए और ज्यादा करने होंगे प्रयास
सर्वे में शाीमल 38 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने रिश्वत दी. सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि उन्होंने कितनी बार रिश्वत दी, किस रूप में रिश्वत दी, किसे रिश्वत दी और क्यों रिश्वत दी. ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल के अध्यक्ष जोस उगाज ने कहा ‘सरकारों को अपनी भ्रष्टाचार निरोधक प्रतिबद्धताओं को हकीकत का रूप देने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए. यह समय कहने का नहीं, बल्कि करने का है. लाखों की संख्या में लोग लोक सेवकों को रिश्वत देने के लिए बाध्य होते हैं और इस बुराई का सर्वाधिक असर गरीब लोगों पर पडता है.’