लखनऊ: लखनऊ में पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई है वो बेहद खौफनाक है. हालांकि पुलिस ने सफाई दी है कि लखनऊ से मिले आतंकवादी ISIS से जुड़े हुए नहीं थे. उन्हें विदेश से ट्रेनिंग और पैसा भी नहीं मिला था. लेकिन वो सेल्फ मोटीवेटेड थे. इस सेल्फ मोटीवेटेड वाली कहानी से ही सबसे ज्यादा चिंता पैदा होती है. सेल्फ मोटीवेटेड का मतलब है भारत के अंदर ही आतंकवादियों के बनने की शुरुआत होना यानी आतंकवाद मेड इन इंडिया. इससे पहले भारत में आतंकवादी होते ही नहीं थे. आतंकवादी या तो पाकिस्तान से आते थे या कश्मीरी नौजवानों को पाकिस्तान मदद देकर आतंकवादी बनाता था. लेकिन अपने लड़कों का आतंकवादी बन जाना सबसे खतरनाक ट्रेंड है.
ये ट्रेंड खतरनाक इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ सालों से लगातार सोशल मीडिया और दूसरे प्लेटफॉर्म पर फैलाई जा रही नफरत और एकखास समुदाय पर निशाने साधने की जो राजनीति शुरू हुई थी वो अपना बुरा असर दिखाना शुरू कर रहीहै. आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता लेकिन उसके कारणों की समीक्षा ज़रूरी है. कल्पना कीजिये कि किसी एक कौम की देशभक्ति पर दिन रात सवाल उठाए जाएं . उसे बुरा भला कहा जाए. उसे आतंकवादी कहा जाए. उसे पाकिस्तान और तालिबान से जोड़कर देखा जाए. उसे अल कायदा का समर्थक बताया जाए तो उसके नौजवानों पर क्या असर पड़ेगा. जहां उसके नौजवानों के मन में पहले असुरक्षा और बाद में नफरत की भावना पैदा होगी . इतना ही नहीं इन नौजवानों के खिलाफ व्यापक स्तर पर माहौल बनाने से समाज में जो बंटवारा होता है उसके परिणाम इससे भी ज्यादा बुरे हो सकते हैं.
आईये जानते हैं कि दरअसल पूरा बयान था क्या…
यूपी पुलिस का कहना है कि मंगलवार को गिरफ्त में आए संदिग्ध आतंकी सिर्फ पहचान बनाना चाहते थे. उन्हें विदेश से कोई फाइनेंशियल मदद नहीं मिली थी. उनका आईएसआईएस से अभी कोई लिंक नहीं मिला है. लखनऊ में देर रात तक चले एनकाउंटर के बाद यूपी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
उन्होंने कहा, ”ये लोग (अरेस्ट संदिग्ध आतंकी) सोशल मीडिया पर अवेलबल लिटरेचर पढ़ते थे. कैसे असलहा बनाना है, बम बनाना है, वो वहीं से स्टडी करते थे. ये सेल्फ मोटिवेटेड हैं और खुद की पहचान बनाना चाह रहे थे. इन्हें बाहर से कोई फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं था. इन लोगों ने लगातार लो इन्टेंसिटी बम लगाने की कोशिशें की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. ये अपने मोटिव को लेकर बाहर से कॉन्टैक्ट साधने में भी लगे थे.” मध्य प्रदेश का दानिश घटना का मास्टरमाइंड…
- ”मध्य प्रदेश का दानिश इसका मास्टरमाइंड है. उसके भाई इमरान और फैसल कानपुर के हैं. ये लोग आपस में रिश्तेदार हैं. कुल 3 लोग गिरफ्तार हैं. कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.”
ISIS से खुद होते हैं इन्सपायर
- एडीजी ने बताया, ”ये लोग खुद आईएसआईएस से इन्सपायर्ड हो जाते हैं. इस समय कई यूथ उनके लिटरेचर पढ़कर उनके लिए काम करने लगते हैं. इन लोगों ने भी नेट के जरिए बम बनाने का प्लान जाना. हालांकि, इनके सीधे तौर पर आईएसआईएस से जुड़े होने का अभी कोई लिंक नहीं मिला है.”
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”कानपुर से जो संदिग्ध फरार है, उसकी हमें जानकारी है. हम जल्द ही उसे गिरफ्तार करेंगे. तीन पासपोर्ट लखनऊ रीजनल ऑफिस से जारी हुआ है. सैफुल्लाह के घर के पते पर ही पासपोर्ट भी जारी हुआ. घटना में शामिल अतीक मुजफ्फर भी गिरफ्तार हो चुका है.”
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”हम आतंकियों का प्रोफाइल तैयार कर रहे हैं. इतने दिनों से हमें नहीं पता चल पाया था. हमारा सूचना तंत्र फेल हो गया था. कई लोग जो गुमराह हो गए थे, उन्हें भी हम मेनस्ट्रीम में लेकर आए हैं.”
क्या है मामला?
- 7 मार्च की सुबह एमपी के शाजापुर में भोपाल-पैसेंजर ट्रेन में IED ब्लास्ट हुआ. इसमें 10 लोग घायल हुए. इसे देश में मौजूद ISIS मॉड्यूल का पहला हमला माना गया.
ब्लास्ट के बाद उसी दिन दोपहर को एमपी पुलिस ने पिपरिया के एक टोल नाके से बस रोककर चार संदिग्ध पकड़े. इनकी गिरफ्तारी के बाद कानपुर से दो और इटावा से एक संदिग्ध अरेस्ट हुआ.
इन संदिग्धों से मिली इन्फॉर्मेशन और इंटेलिजेंस इनपुट के बाद यूपी एटीएस ने लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में एक घर को घेर लिया. यहां ISIS का संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह छिपा बैठा था. उसकी उम्र 22 से 23 साल के बीच थी. वह कानपुर का रहने वाला था.
उसने सरेंडर करने से मना कर दिया. 11 घंटे चले एनकाउंटर के बाद उसे मार गिराया गया. उसके घर से 8 रिवॉल्वर, 650 कारतूस, कई बम और रेलवे का मैप मिला.
एक सवाल समझ नहीं आया- ये आतंकवादी सीक्रेट मिशन पर आईसिस का झंडा लेकर क्यों चलते है?