भोपाल: आप मानें या न मानें लेकिन बिजली का दाम 84 रुपये प्रति यूनिट हो चुका है. हमारे ही देश में इस दाम पर बिजली खऱीदी और बेची जा रही है. खुद मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के दौर में बिजली का ये दाम है. ये बिजली कोई और नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार खऱीद रही है. जाहिर बात है सारा पैसा जनता के सिर पर ही बोझ बन रहा है. आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 6 निजी कंपनियों से गैर क़ानूनी समझौते कर 50 हजार करोड़ रूपये का घोटाला किया है. इन कंपनियों से महंगी बिजली खरीदने के कारण आज मध्य प्रदेश की बिजली सबसे महंगी है.
क्या है यह आरोप
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने 6 निजी कंपनियों से लगभग 1575 मेगावाट के समझौते किये. ये सिर्फ यह समझौते गैर क़ानूनी थे और इन समझौतों के अनुसार बिजली ख़रीदे या न खरीदें फिक्स चार्ज के 2163 करोड़ रूपये 25 वर्ष तक देने ही पड़ेंगे. इनका विवरण निम्न प्रकार है:
निजी विद्युत गृह हिस्सा (मेगावाट) फिक्स चार्ज (रुपये करोड़)
अ. विद्युत क्रय अनुबंध दिनांक 05/01/2011
1 जे.पी. बीना पावर सागर 325 476
2 जे.पी. निगरी जिला सिंगरौली 396 638
3 झाबुआ पावर सिवनी 180 251
4 एम.बी. पावर अनूपपुर 360 495
5 बी.एल.ए. पावर गाडरवारा 14 21
विद्युत विक्रय अनुबंध दिनांक 30/05/2005 परिवर्धित 26/11/2012
1 पी.टी.सी. के माध्यम से लेन्को अमरकंटक 300 282
कुल योग 1575 2163
कैसे है यह समझौते गैर क़ानूनी:
शिवराज सरकार ने इन निजी कंपनियों के साथ जो अनुबंध किया है वो पूर्णता गैर क़ानूनी है
- भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत घोषित टेरिफ पॉलिसी दिनांक 06 जनवरी 2006
- भारत सरकार द्वारा टेरिफ पॉलिसी के सम्बन्ध में अधिसूचित स्पष्टीकरण पत्र दिनांक 09 दिसंबर 2010
- म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित विद्युत खरीदी अधिनियम 2004 संशोधित 2006
- म.प्र. शासन द्वारा निजी विद्युत कंपनियों से हस्ताक्षरित किये गये सम्बंधित समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.)
के अनुसार ये समझौते प्रतिस्पर्धात्मक बोली के आधार पर होने थे पर इसका खुला उल्लंघन करते हुए 5 कंपनियों के साथ ये समझौते एक ही दिन में 5 जनवरी 2011 को हुए. यह आश्चर्यजनक है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दो अधिकारी गजराज मेहता और संजय मोहसे उस दिन सम्बंधित पद पर पदस्थ ही नहीं थे, और तीन अधिकारीयों ए बी बाजपेयी, पी के सिंह और एन के भोगल ने एक ही दिन भोपाल में और जबलपुर में समझौतों पर हस्ताक्षर किये. यह साफ बताता है कि समझौतें फर्जी हैं.
कैसे पड़ रही है जनता पर मार:
वर्ष 2016-17 के आंकड़ों में चौका देने वाले आंकड़े सामने आए है जिनसे पता चला है कि जे पी बीना पावर से गत 11 महीने में 14.2 करोड़ यूनिट के लिए लगभग रु 478.26 करोड़ का भुगतान किया जिससे औसत बिजली दर 33.68 रु/यूनिट पड़ी, इसी प्रकार झाबुआ पवार से खरीदी गयी 2.54 करोड़ यूनिट के लिए रु 214.20 करोड़ का भुगतान किया गया जिससे बिजली खरीदी की दर रु 84.33 प्रति यूनिट पड़ी.
आज मध्य प्रदेश में आज 17,500 मेगावाट बिजली उपलब्ध है जबकि अधिकतम मांग 11,000 मेगावाट है. अतः इन निजी कंपनियों से बिजली खरीदना पूर्णतः गैर जरुरी है. इन कंपनियों आज 2163 करोड का फिक्स चार्ज का भुगतान किया जा रहा है यह सरकार द्वारा किया अवैधानिक अनुबंधनो के कारण अगले 25 वर्ष तक भरना पड़ेगा, जिसके कारण मध्य प्रदेश की जनता का 50,000 करोड लूट लिया जायेगा.
मध्य प्रदेश में निजी कंपनियों से अत्याधिक महँगे दामो पर बिजली ख़रीदी को आसान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने अपने स्वंय के सस्ते पावर प्लांट या तो बंद कर रखे है या आंशिक रूप से चालू रखे है. वही बाँधो में भरपूर पानी होने के बावजूद बरगी, बाणसागर और गाँधी सागर में पर्याप्त पानी होने के बावजूद इनसे न्यूनतम बिजली पैदा की जा रही है, जबकि इनसे बहुत सस्ती बिजली मिलती है.(report from website bhavtarini dot com )