नई दिल्ली: योगी के सीएम बनते ही मीडिया फिर से उसी चीयर लीडर्स वाली भूमिका में आ गया जैसे वो पीएम मोदी के समय में आया था जब वो चुनाव जीते थे. चुनाव के समय सभी कानूनी और संवैधानिक विंदुओं को ध्यान में रखकर मीडिया भीड़तंत्र का हिस्सा बन गया और लगातार उन्मादी भीड़ का हिस्सा बनकर उकसाने में लग गया. एकखास तबके के अपरिपक्व लोग सैक्युलरिज्म को देश द्रोही कृत्य करार रहे थे तो मीडिया बी उनके सुर में सुर मिला रहा था.
हालात के साथ धारा में बह रहे मीडिया की इस करतूत को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया महसूस कर रहा है. बीबीसी पर एक लेख में पत्रकार मुकेश कुमार कहते हैं- “इस भक्ति-भाव से पत्रकारिता तो नहीं हो सकती.
ऐसा लगता है कि मीडिया योगी आदित्यनाथ की छवि निर्माण में लगा हुआ है, शायद हिंदुत्व का नया नायक गढ़ रहा है.
मोदी की ही तर्ज़ पर वह योगी को कद्दावर नेता के रूप में गढ़ रहा है. अब ये देखना होगा कि ऐसा जाने-अनजाने में हो रहा है या किसी एजेंडा के तहत.”
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