लखनऊ : पेट्रोल पंप में चिप लगाकर पेट्रोल कम नापने का रैकेट पकड़ा गया है. पेट्रोल पंप में इस खेल में अमूमन दो से तीन लोग शामिल रहते थे. इसमें एक पेट्रोल डालता था और दूसरा कैश का बैग लेकर खड़ा रहता था. बैग लेकर खड़े रहना वाला पैसों के साथ ही रिमोट रखता था. मौका मिलते ही वह रिमोट दबाकर घटतौली कर देता था. कुछ जगह पर इन दोनों के अलावा तीसरा कर्मचारी जेब में रिमोट लेकर खड़ा रहता था. एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि ये लोग ग्रीन सर्किट में चिप लगाकर खेल करते थे. कुछ जगह एमसीबी और कुछ जगह पैनल में सर्किट लगाया गया था. ये टैक्नोलॉजी कुछ उसी तरह की है जिसके ज़रिए ईवीएम में घपलेबाज़ी का आरोप लगता रहा है.
पेट्रोल चुराने में इस्तेमाल होने वाली चिप और रिमोट एक से दो हजार रुपये में दिल्ली और कानपुर के बाजारों में मिलते हैं. इसे लगाने के एवज में राजेंद्र 40 से 50 हजार रुपये लेता था. राजेंद्र यूपी और दूसरे राज्यों में सक्रिय एक बड़े गैंग का सदस्य है. उसने एसटीएफ के सामने एक हजार से ज्यादा पेट्रोलपंपों पर चिप लगाने की बात कबूली है. फिलहाल एसटीएफ ने उसकी निशानदेही पर सात जगह छापे मारे हैं. देर रात तक बाकी जिलों में छापेमारी की तैयारी की जा रही थी.
एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि पेट्रोल घटतौली का खेल करने वाला एक बड़ा गिरोह यूपी के साथ दूसरे राज्यों में चिप और रिमोट लगाने का खेल कर रहा था. एसटीएफ को इसकी सूचना मिली थी. एसटीएफ ने गुरुवार को गैंग से जुड़े राजेंद्र को हिरासत में लिया. उसने पूछताछ में लखनऊ के सात पेट्रोलपंपों में चिप और रिमोट लगाने की बात कबूली. इसके बाद एसएसपी अमित पाठक ने पांच विभागों के साथ मिलकर सात टीमें बनाईं और छापेमारी शुरू की.
हर लीटर पर 50-60 ml कम देते थे फ्यूल
इन पेट्रोल पंपों की मशीनों के अंदर चिप लगी थी, जिसे रिमोट के जरिए कंट्रोल किया जाता था. पंप के कर्मचारी द्वारा रिमोट दबाते ही पाइप से तेल गिरना बंद हो जाता था लेकिन मशीन की स्क्रीन पर तेल और पैसे का मीटर अपनी रफ्तार से ही चलता रहता था. एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक के मुताबिक, इस डिवाइस के जरिए पेट्रोलपंप मालिक हर लीटर पर पांच से छह प्रतिशत ईंधन की चपत लगा रहे थे. औसतन एक पेट्रोल पंप इस चोरी से ही रोज 40 से 50 हजार रुपये और महीने में 12 से 15 लाख रुपये कमा रहा था.
1000 से ज्यादा पंपों में लगाई चिप