नई दिल्ली : 2019 में दलितों की सरकार दलितों को इग्नोर नहीं किया जा सकता. इसी खुदगर्जी की मारी बीजेपी अब दलितों के मामले में सीधे रास्ते पर आने का दिखावा करने में लगी है. सरकार का ताज़ा फैसला सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने का है. राजनीतिक मजबूरी देखिए कि संघ की विचारधारा और आरक्षण खत्म करने की संघप्रमुख की राय के बावजूद मोदी सरकार ये फैसला ले रही है. इसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो कि एम नागराजन और केन्द्र सरकार मामले में आया था. सरकार उसी फैसले के आधार पर ये आरक्षण दे रही है.
सरकार ने फैसला लिया है कि सभी विभागों में खासतौर पर निचले कैडर में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों के लिए आरक्षण दे दिया जाए. हालांकि ये आरक्षण उतना ही होगा जितने के नाम पर दलितों का हितैषी होने का ढिंढोरा पीटा जा सके. इसमें कई शर्तें हैं. एक तो इसमें निचले कैडर तक ही आरक्षण दिया जाएगा दूसरा इसे एक सीमा तक ही रखा जाए.
इस समय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एससी और एसटी के लिए 15 फीसद और 7.5 फीसद का कोटा ही पूरा नहीं हो पा रहा है. संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे.
सरकार के कार्मिक विभाग ने प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर एम. नागराज बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाने के लिए बनाई रिपोर्ट पर सहमति जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को समान अवसर और उनके समेकित विकास के लिए जरूरी है कि उनके लिए प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा जारी रहे. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के कई कैडर में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी संविधान में उनके लिए तय सीमा से भी कम है. इसलिए वक्त की जरूरत है कि जब तक आरक्षण तय सीमा तक न पहुंच जाए, उन्हें यह लाभ मिलता रहे.
कार्मिक विभाग का प्रजेंटेशन
मंगलवार को कार्मिक विभाग ने इस मसले के लिए बनी मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति के समक्ष एक प्रजेंटेशन दिया. इस समिति में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री, आदिवासी कार्य मंत्रालय और कार्मिक विभाग के राज्य मंत्री शामिल हैं.
अब आगे क्या
मंत्रियों की समिति से प्रमोशन में आरक्षण पर मुहर लगते ही प्रस्ताव मंत्रिमंडल के भेजा पास जाएगा. आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी, इसलिए इससे संबंधित विधेयक पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेनी होगी. इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा.
मौजूदा स्थिति
वर्तमान में किसी भी विभाग में होने वाली 14 नियुक्तियों में अनुसूचित जाति को मिलने वाले 15 फीसद आरक्षण के हिसाब से दो पद आरक्षित रखे जाते हैं. लेकिन वास्तविकता में निचले कैडर में अभी इस वर्ग के लोगों को केवल एक ही पद मिल रहा है. लेकिन ताजा प्रस्ताव के मुताबिक अब निचले कैडर के कर्मियों को भी प्रमोशन के दो पद एससी के लिए आरक्षित रखना होगा. कार्मिक विभाग ने माना है कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अभी भी एससी और एसटी के लिए 15 और 7.5 फीसद के आरक्षण की सीमा तक नहीं पहुंचा जा सका है.