‘मोदी जी’ हाफिज़ और दाऊद को दुश्मन मानते हैं या दोस्त ? सरकारी रिकॉर्ड से खुली पोल

नई दिल्ली : भारत के सपूत नरेन्द्र मोदी की सरकार का इरादा भारत के दुश्मनों को सजा देने का नहीं है. न तो वो हाफिज़ सईद को भारत लाकर कोर्ट के सामने पेश करना चाहती है न दाऊंद इब्राहिम को . कम से कम सरकार के इरादों से तो यही लगता है. दोनों के खिलाफ बड़ी बड़ी बातें करने और भाषण देने के बावजूद मोदी ने पाकिस्तान को आजतक इन दोनों को भारत के हवाले करने को नहीं कहा है. दूसरी तरफ हाफिज सईद मामले में पाकिस्तान सख्त हो गया है और उसे आतंकवादी घोषित करने की तैयारी चल रही है. लेकिन भारत सरकार की सुस्ती हैरत में डालने वाली है.

आरटीआई में पता चला है कि आतंकी हमले (26/11) के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट में वांछित दाऊद इब्राहिम के भारत प्रत्यर्पण को लेकर कोई आधिकारिक मांग नहीं की गई है. जांच एजेंसियों ने दोनों को भारत लाने के बारे में गृह मंत्रालय से अब तक कोई आग्रह नहीं किया है.

विदेश मंत्रालय के प्रत्यर्पण प्रकोष्ठ के सीपीवी खंड से यह जानकारी प्राप्त हुई है. आरटीआइ के तहत विदेश मंत्रालय से जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और भगोड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम को भारत लाने के बारे में की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया था. जवाब में कहा गया, ‘भारत में उक्त मामलों की जांच कर रही एजेंसियों की ओर से विदेश मंत्रालय को हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम के प्रत्यर्पण/निर्वासन/वापसी को लेकर कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है.’

भारत लंबे समय से सार्क देशों के बीच एक प्रत्यर्पण संधि की वकालत कर रहा है. ऐसा इसलिए ताकि आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके. मालूम हो, दाऊद पर 1993 बम धमाकों के मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है.

मुंबई में 12 मार्च, 1993 को हुए इन धमाकों में 260 लोग मारे और 700 से अधिक घायल हुए थे. इस घटना के बाद दाऊद देश छोड़कर भाग गया था. समझा जाता है कि वह अभी पाकिस्तान में है.

कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सरगना रहा हाफिज सईद 2008 मुंबई आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता है.

समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए आतंकियों ने 26, नवंबर, 2008 को मुंबई पर हमला किया था. इसमें 166 लोग मारे गए थे.