तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली: तीन तलाक के मुद्दे पर 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में लगातार चल रही सुनवाई खत्म हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. आपको बता दें कि 5 जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट में यह सुनवाई 6 दिनों तक चली. कोर्ट ने गुरुवार की सुनवाई में दोनों पक्षों की बात को सुना, जिसके बाद फैसले को सुरक्षित रखा.

6 दिन की सुनवाई में कोर्ट में कई बार दिलचस्प बहस हुई. इस दौरान केंद्र की ओर से मुकुल रोहतगी ने और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने अपनी-अपनी दलीलें दी.

इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को ‘दुखदायी’ प्रथा करार देते हुए न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इस मामले में ‘मौलिक अधिकारों के अभिभावक के रूप में कदम उठाए.’ देश के बंटवारे के वक्त के आतंक तथा आघात को याद करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 को संविधान में इसलिए शामिल किया गया था, ताकि सबके लिए यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी धार्मिक भावनाओं के बुनियादी मूल्यों पर राज्य कोई हस्तक्षेप न कर सके.

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तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायालय मामले पर पिछले 67 वर्षो के संदर्भ में गौर कर रहा है, जब मौलिक अधिकार अस्तित्व में आया था न कि 1,400 साल पहले जब इस्लाम अस्तित्व में आया था.

उन्होंने कहा कि न्यायालय को तलाक के सामाजिक नतीजों का समाधान करना चाहिए, जिसमें महिलाओं का सबकुछ लुट जाता है. संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष बराबर तथा कानून के समान संरक्षण का हवाला देते हुए जयसिंह ने कहा कि धार्मिक आस्था तथा प्रथाओं के आधार पर देश महिलाओं व पुरुषों के बीच किसी भी तरह के मतभेद को मान्यता न देने को बाध्य है.

सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही बहस में बुधवार को केंद्र ने पूरी मजबूती से अपनी दलीलों को शीर्ष कोर्ट के सामने रखा. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र अभी ट्रिपल तलाक पर बहस कर रहा है, लेकिन वह तलाक के सभी मौजूदा तरीकों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक कदम आगे बढ़ाकर विधेयक लाने को भी तैयार है.