स्मृति इरानी की एक तो जुबान बहुत तल्ख है दूसरा उनका अंदाज़ बहुत आक्रामक है. ज्यादातर लोग उनकी इन्हीं आदतों को मानव संसाधन मंत्रालय से जाने के पीछे का कारण मानते हैं. इनमें से ज्यादातर मानते हैं कि स्मृति की इन खामियों के कारण उनकी मंत्रालय से विदाई हुई. लेकिन मोदी को नजदीक से समझने वाले लोग इसे समृति की खूबियों के तौर पर देख रहे हैं. इन जानकारों का मानना है कि मोदी ने तोप को कमरे में रखने के बजाय मैदान में लगाया है. मानव संसाधन जैसे समय और मेहनत की मांग करने वाले मंत्रालय में फंसी स्मृति की जुबानी तल्खी का सही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. इन लोगों का कहना हैकि यूपी चुनाव में स्मृति की फायरब्रांड इमेज को सही इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर इसका सही इस्तेमाल करना है तो स्मृति को थोड़ा काली रखना होगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय में रहकर स्मृति इतना समय नहीं निकाल सकती थीं. यही वजह है कि स्मृति का विभाग बदला गया.
2016-07-06