नई दिल्ली: पहली बार, 50 से अधिक मुसलमानों ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं की अंतिम सूची में इसे बनाया है. छात्रों को बेहतरीन ट्रेनिंग देने की की अपनी विरासत को जारी रखते हुए, भारत के जकात फाउंडेशन में 16 छात्र और जामिया मिलिया इस्लामिया आवासीय कोचिंग अकादमी के 27 छात्रों ने इस बार सिविल सर्विसेज में सफलता के झंडे गाड़े.
इस संस्थान में “कुल 43 छात्र यूपीएससी-2016 के लिए तैयारी कर रहे थे. इन में टॉप 100 में शामिल आरिफ अहसान (74) और डॉ सैयद फखरुद्दीन हामिद (86) शीर्ष 100 में शामिल हैं. इनमें से 16 जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश के दो, बिहार में से एक, राजस्थान से एक, कर्नाटक से एक और केरल के दो और झारखंड से तीन छात्र शामिल हैं.
“जकात इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक जफर महमूद ने बताया- ” मैं बहुत खुश हूं कि आजादी के बाद पहली बार कि इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों ने एक साथ सिविल सर्विसेज में जगह बनाई है.
जामिया मिलिया इस्लामिया आवासीय कोचिंग अकादमी (सेंटर फॉर कोचिंग एंड कैरियर प्लानिंग) के 27 छात्रों ने अंतिम सूची में जगह बनाई . बड़ी बात ये कि तीन तलाक जैसी बुराइयों से जूझ रहे मुस्लिम समाज के जो सत्ताईस लोग चुने गए उनमें एक तिहाती 27 में से 9 लड़कियां हैं.
“हमने 2010 में इस अकादमी को शुरू किया था और तब से अबतक 93 सिविल सर्वेंट सामने आए हैं.. डिप्टी मीडिया समन्वयक प्रोफेसर साइमा सईद के मुताबिक 700 घंटे की कक्षाओं और विश्वविद्यालयों के समर्पित फैकल्टी की मेहनत छात्रों के कड़े प्रयासो का परिणाम है. हर साल, जामिया मिलिया इस्लामिया में आवासीय कोचिंग अकादमी (सेंटर फॉर कोचिंग एंड कैरियर प्लानिंग) में 200 उम्मीदवारों (150 लड़के और 50 लड़कियां) चुने जाते हैं. जिसमें अल्पसंख्यक वर्गों से संबंधित छात्रावास सुविधा , अनुसूचित जाति, एसटीएस और महिलाओं को ये सुविधा दी जाती है.
इस बार कश्मीरी छात्रों ने भी यूपीएसी में बेहतरीन जगह बनाई है और इसमें इस संस्थान की खास अहमियत है. हंडवाड़ा में हरिपोर के निवासी बिलाल मोहिउद्दीन भट्ट ने कश्मीर को दसवां रैंक दिया, ये मुसलमान छात्रों का टॉपर है. बिलाल के साथ, नौ मुस्लिम ने इसे शीर्ष 100 रैंकों में जगह बनाई. शीर्ष 50 छात्रों में मुज़म्मिल खान (22), शेख तनवीर आसिफ (25), हम्ना मारीयाम (28), जफर इकबाल (3 9) और रिजवानबासा शेख (48) शामिल हैं. सत्रह मुस्लिम शीर्ष 500 में शामिल हैं.
पिछले कुछ सालों से यूपीएससी को साफ करने वाले मुसलमानों की अंतिम संख्या 30-40 की श्रेणी में रही है. पिछले साल, 39 मुस्लिमों ने परीक्षाओं को मंजूरी दे दी थी, कश्मीर के आथिर आमिर उल शफी खान दूसरे स्थान पर रहे थे. 2015 में, 38 मुस्लिमों ने परीक्षाओं को मंजूरी दे दी थी, जबकि 2013 में 30 और 2014 में यह संख्या 30 हो गई थी.
हालांकि कुल जनसंख्या का 13.4% मुसलमान शामिल हैं, वे शीर्ष सरकारी सेवाओं में खास जगह नहीं रखते. अक्सर शिक्षा की कमी और संसाधनों की अनुपलब्धता के वो पिछड़ जाते हैं. उनका स्थान सिविल सेवाओं में लगभग 2% हैं
Girijesh Vashistha