नई दिल्ली: प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बीसीसीआई की प्रशासक समिति से इस्तीफ़ा देने के दूसरे दिन ही साबित कर दिया कि वो किसी दबाव के आगे झुकने वाले लोगों में से नहीं है. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सुनील गावस्कर को अनैतिक आधार पर लाभ पहुंचाए जाने की कड़ी आलोचना की है.
गुहा ने प्रशासक समिति के प्रमुख विनोद राय को दिए अपने इस्तीफ़े में उन कारणों का जिक्र किया है जिनके चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासक समिति से अलग होने का फैसला किया है.
धोनी को ए ग्रेड का कॉन्ट्रैक्ट क्यों?
गुहा ने अपने इस्तीफ़े में कहा है कि पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ ए श्रेणी का अनुबंध क्यों किया गया जबकि उन्होंने खुद को टेस्ट क्रिकेट से अलग कर लिया है.
उन्होंने कहा कि यह फैसला एक गलत संदेश भेजता है.
गावस्कर की कमेंट्री पर भी सवाल
गुहा ने गावस्कर की कमेंटेटर होने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि गावस्कर खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी के मुखिया हैं और बीसीसीआई टीवी के कमेंट्री पैनल में भी है.
उन्होंने कहा है कि ऐसे में उन्हीं खिलाड़ियों पर कमेंट्री करना कॉन्फिल्क्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला है, ऐसे में उन्हें दोनों में से एक पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि बीसीसीआई में सुपरस्टार खिलाड़ी के प्रभाव की वजह से कॉन्ट्रैक्ट प्रभावित होते हैं, कमेंटेटर से लेकर कोच के चयन प्रभावित होते हैं.
कुंबले के साथ गलत व्यवहार क्यों?
कुंबले का बचाव करते हुए गुहा ने कहा है कि कुंबले की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहतर रहा है लेकिन इसके बावजूद कुंबले के भविष्य को अधर में रखा गया और इसके बाद इस पोस्ट के चयन प्रक्रिया की बात सामने आई.
वे कहते हैं कि योग्यता और न्याय आधारित प्रक्रिया में कुंबले का कार्यकाल बढ़ सकता था.
गुहा ने इसके साथ ही अपने स्थान पर एक पूर्व क्रिकेटर के तौर पर जवागल श्रीनाथ को प्रशासकों की समिति में रखने की सिफारिश भी की है. गुहा ने कहा था कि वह निजी कारणों से सीओए से हट रहे हैं, लेकिन अपने पत्र में उन्होंने भारतीय क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं से कई सवाल किए हैं. उन्होंने कोच और यहां तक कि कमेंटेटर पैनल की नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर कोहली की ‘वीटो शक्ति’ पर सीधे सवाल उठाया है.