NDTV पर लगे हर आरोप का जवाब, छापों के पीछे साफ दिखती है बदनीयती

नई दिल्ली:  NDTV पर जब से छापा पड़ा है तबसे एक सवाल दिमाग में लगातार घूम रहा है. वो सवाल ये नहीं है कि ये प्रेस की आज़ादी पर हमला है या नहीं. इस मामले में राय साफ है . सब को पता है कि ये एनडीटीवी से पुराने हिसाब चुकता किए  जा रहे हैं. सबको पता है कि एनडीटीवी ने गुजरात दंगों से लेकर आजतक कभी मैनेज होना गवारा नहीं समझा. ज्यादातर लोग सरकार ए मोदी में माथा टेक आए लेकिन एनडीटीवी नहीं गया. लेकिन सवाल दूसरा है . सवाल ये है कि क्या सचमुच एनडीटीवी ने घोटाला किया? क्या सचमुच प्रणय रॉय ने घोटाले किए ? क्या सचमुच प्रणय रॉय घपलेबाज़ हैं. नीचे हम इन्हीं सवालों की पड़ताल करेंगे. फिलहाल हम ये भी बात नहीं करेंगे कि प्रणय रॉय के खिलाफ शिकायत किसने की है.

  1. प्रणय रॉय पर आरोप लगा है कि उन्होंने इंडिया बुल्स से अपनी ही कंपनी का शेयर खरीदने के लिए 439 करोड़ का लोन लिया. इस कर्ज को चुकाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 375 करोड़ का कर्ज लिया गया. इसमें गलत क्या था? हम और आप रोज़ क्रेडिट कार्ड से बैलेन्स ट्रांसफर करते हैं. ये लोन भी सात साल पहले जी हां 7 साल पहले चुकाया जा चुका है. फिर आज बवाल क्यों ? एक आरोप ये भी है कि सेवी को इसकी जानकारी दी ही नहीं गई. अरे भाई अगर सेबी को इसकी जानकारी नहीं दी गई तो उसका अपना एक एनफोर्समेंट का तरीका है. वो जुर्माना लगाती है. वो सुब्रत रॉय को जेल तक पहुंचाने की हैसियत रखती है. इसमें सीबीआई के कूद पड़ने का क्या औचित्य हुआ ?
  2. आईसीआईसीआई बैंक के 375 करोड़ रुपये प्रणय रॉय को 19 फीसदी ब्याज़ पर मिले थे. बाद में समय से पहले कर्ज चुकाने के लिए आईसीआईसीआई icici बैंक ने 25 करोड़ की छूट दे दी 350 करोड़ रुपये में लोन खत्म हो गया. इसमें गलत क्या है ? बैंक से ब्याज़ पर छूट लेना गलत है तो फिर देश के लाखों लोगों को जेल में होना चाहिए. वैसे भी एक प्राइवेट बैंक किसी को ब्याज़ में छूट देता है तो ये उसका अधिकार है. दूसरों को इससे क्या ? इस मामले में कहा जा रहा है कि बैंक ने आरबीआई से अनुमति नहीं लीं. ये वैसा ही तकनीकी तत्व निकालना है कि बड़े बाबू के साइन पेज के नीचे की जगह बाईं तरफ करवा लिए. ऐसे ही फाल्तू प्रक्रियाओं से ज़ुड़े केजरीवाल के खिलाफ शुग्लू कमेटी की रिपोर्ट में उठाए गए. जिसको लेकर दिल्ली की सरकार को लगातार परेशान किया जा रहा है.
  3. चूंकि छापा मारने और मरवाने वाले भी जानते हैं कि ये कानून के दायरे में गलत नहीं है तो कहा जा रहा है कि ये भी जांच की जाएगी कि एनडीटीवी ने आईसीआईसीआई बैंक का पैसा चुकाने के लिए कहां से इंतजाम किया. इसके बाद कहा जा रहा है कि वो कंपनियां फर्जी थीं. बिना जांच पड़ताल ये कैसे पता लग गया कि कंपनियां फर्जी थीं ? और अगर लग भी रही थीं तो शुरुआती जांच करके तसल्ली क्यों नहीं की . सीधे छापा मारने क्यों पहुंच गए. सीधे प्रणय रॉय के घर रेड क्यों ? उन कंपनियों के दफ्तरों को छोड़ क्यों दिया गया ?
  4. इस मामले में एनडीटीवी के खिलाफ शिकायत करने वाला कंपनी का एक पूर्व कंसलटेंट संजय दत्त है. एनडीटीवी का कहना है कि वो एक भ्रष्ट व्यक्ति है और सालों पहले कंपनी से निकाला जा चुका है. संजय दत्त लगातार एनडीटीवी के खिलाफ इन्हीं मामलों को लेकर मुकदमे करता रहा है. किसी भी अदालत ने उसके आरोपों को इस लायक नहीं माना कि कोई कार्रवाई का आदेश देती. परसों संबित पात्रा को घटिया आरोप लगाने के बाद जब निधि राजदान ने स्टूडियो से बाहर का रास्ता दिखाया तो अचानक संजय दत्त की शिकायत में वजन आ गया और एक्शन शुरू हो गया.

दरअसल ये सबके सोचने का समय है. इस चैनल को लगातार बदनाम किया जाता रहा है. इस पर सोशल मीडिया मेंहमले होते हैं. इस चैनल की पत्रकार के चरित्र पर सार्वजनिक रूप से लांछन लगाए जाते हैं. उसे गालियां दी जाती है. और दबाव में लेने की कोशिश की जाती है . इस पर भी ये चैनल नहीं झुकता तो ऐसे घटिया एक्शन होते हैं. संदेश साफ है कि अगली बार बहस में बीजेपी के किसी प्रवक्ता को बुलाएं तो टोकाटाकी न करें वरना…