लौट के बुद्धू घर को आए, फेल हुए प्रयोग, अब रेल्वे कम करेगी किराया

नई दिल्ली: समझदार लोग पूर्व के अनुभव से फायदा लेते हैं और आगे बढ़ते हैं. ज्यादा समझदार लोग पूर्व की सभी बातों को बकवास मानते हैं और नए सिरे से सारे प्रयोग करने में लग जाते हैं. धीरे धीरे भारत सरकार भी प्रयोगशाला बनती जा रही है. हर मंत्रालय उन प्रयोगों को दोबारा दोबारा कर रहा है जो पुरानी सरकारें करके फेल हो चुकी हैं. इनमें सबसे आगे वालों में रेलवे है. एक के बाद एक उसके सारे प्रयोग फेल हो रहे हैं. और वो यू टर्न लेने को मजबूर है.

पहले कुप्रबंधन के कारण रेलवे का घाटा बढ़ा उसे पूरा करने के लिए सरकार ने अंधाधुंध किराए बढ़ाए. मकसद ये भी था कि रेल्वे को प्राइवेट हाथों में दें तो नई कंपनी को फायदा ही फायदा हो. किराया बढ़ाने के बाद टैक्स के नाम पर खाल छील लेने वाली सरकार रे टिकट पर लिखना शुरू किया कि वो उसी टैक्स में से किराये में कितना योगदान दे रही है. अब तीन साल के प्रयोगों के बाद अक्ल ठिकाने आई है और सरकार दोबारा से किराये कम करने की सोच रही है.
आपको याद होगा कि हमने किराया बढ़ाते समय ही रेल्वे को चेतावनी दी थी कि बढ़े किराए उसकी कमाई कम कर देंगे. लोग अपने वाहनों से सफर करना शुरू कर देंगे. हुआ भी वही.

अब हारकर रेल्वे शताब्दीएक्सप्रेस का सफर सस्ता करने जा रही है. खास तौर पर किराये में कटौती कम दूरी की यात्रा में होगी . दरअसल रेलवे बोर्ड शताब्दी एक्सप्रेस से कम दूरी के सफर का किराया घटाने की तैयारी कर रहा है. रेलवे नहीं चाहता है कि कम दूरी के यात्री ट्रेन छोड़कर सड़क के रास्ते यात्रा करें और रेलवे को भी नुकसान उठाना पड़े. इसके लिए दो ट्रेनों में प्रयोग भी किया है. जो सफल रहा है.

यात्रियोंको नियमित रखने के लिए बनाई योजना

शताब्दीट्रेनों के रूटों पर पड़ने वाले छोटे स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही बहुत कम होती है. ऐसी जगहों पर लोग ट्रेनों की बजाय एसी बसों से यात्रा करना पसंद करते हैं. बीच के इन स्टेशनों के लिए बस का कम किराया यात्रियों को आकर्षित करता है. इसी कारण रेलवे ने अपने यात्रियों को नियमित रखने के लिए यह योजना बनाई है.

डायनेमिक फेयर पॉलिसी लागू होने के बाद शताब्दी एक्सप्रेस में 30 प्रतिशत यात्री बचे हैं. आईआरसीटीसी के प्रवक्ता देवेंद्र दत्ता ने बताया कि रेलवे ने ट्रायल के लिए दिल्ली-जयपुर और चेन्नई-बेंगलुरु ट्रेन को चुना था. दोनों ही ट्रेनों के सफर के दौरान बीच के स्टेशनों पर यात्रा करने वालों को एसी बस की तुलना में किराए में कमी की गई थी. इसके बाद दोनों रूटों पर यात्रियों की संख्या बढ़ गई. यह फार्मूला देशभर में अन्य ट्रेनों में जल्दी ही लागू होने की उम्मीद है.