सिर्फ 9 साल की उम्र में ही जया ने संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि कई स्तोत्रों को गाना शुरू कर दिया था. उन्होंने धर्म के साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और इसलिए अपनी स्कूली शिक्षा भी जारी रखी. जया किशोरी ‘नानी बाई का मायरा, नरसी का भात’ कार्यक्रम करती हैं. उन्होंने धर्म के साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और इसलिए अपनी स्कूली शिक्षा भी जारी रखी. जया किशोरी के दादाजी और दादीजी के साथ रहने और घर में भक्ति का माहौल होने की वजह से बचपन में ही केवल 6 साल की कम उम्र में ही भगवान कृष्ण के लिए उनके मन में प्रेम जागृत हो गया. जया के प्रारम्भिक गुरु पं. श्री गोविन्दरामजी मिश्र ने श्रीकृष्ण के प्रति इनके प्रेम को देखते हुए इन्हें ‘किशोरीजी’ की उपाधि आशीर्वाद के रूप में दी. लेकिन ज्यादा दिनों तक हमको उनका सानिध्य प्राप्त नहीं हो सका. ये हैं जया किशोरी जी जिनका जन्म राजस्थान के सुजानगढ़ गॉव के एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ. जया किशोरी भगवान कृष्ण की भक्त हैं. इनके गुरु बचपन में उन्हें राधा कहकर बुलाते थे. जानें- जया किशोरी जी के बारे में. बता दें कि जया किशोरी का जन्म 1996 में हुआ था. जया की कथाओं से आने वाली दान की राशि को नारायण सेवा ट्रस्ट, उदयपुर राजस्थान को दान करते हैं. इस दान से विकलांगों की मदद की जाती है. 10 साल की छोटी उम्र में जया ने सुन्दरकाण्ड गाकर लाखों भक्तों के मन में अपनी जगह बनाई थी. 2017-06-10