नई दिल्ली: GST आने के बाद व्यापारियों की ज़िंदगी बेहद मुश्किल होने वाली है. खास तौर पर छोटे उद्योग चलाने वाले बुरी तरह संकट में फंसेंगे. कानून इतना अफलातूनी है कि किसी एक राज्य में उत्पादन करने वाली एक लघु उद्योग इकाई को जीएसटी लागू होने के बाद पूरे साल में 37 रिटर्न भरने होंगे जबकि मौजूदा कर व्यवस्था में उसे 13 रिटर्न भरने पड़ते हैं. ये कानून वही सरकार ला रही है जो ईज इन डूइंग बिजनेस यानी व्यापार करने में आसानी की बातें करती है
इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार रिटर्न की संख्या बढ़ने से उद्योग, एकाउंटेंट और बैंकों का काम बढ़ेगा. एक देश-एक टैक्स यानी जीएसटी लागू होने में अब एक माह से कम समय बकाया है.
वित्तीय प्रोफेशनल्स, बैंक और उद्योग अभी भी नये टैक्स के लिए तैयार नहीं दिखाई देते हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के पूर्व अध्यक्ष के. रघु का कहना है कि जीएसटी लागू करने के लिए समूची
व्यवस्था तंत्र यानी ईकोसिस्टम को बदलना होगा. नये टैक्स को लागू करने के लिए एक सितंबर आदर्श तारीख होगी.
भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने एक संसदीय समिति को बताया है कि उसके सदस्य बैंक अभी तक जीएसटी के लिए तैयार नहीं हैं. वैसे नई व्यवस्था में सब कुछ ऑनलाइन होगा.
इसमें लगातार अपडेट करना होगा. एक व्यवसायी को साल में कुल 37 रिटर्न भरने होंगे. व्यवसायी को हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे और पूरे साल के बाद एक रिटर्न दाखिल करना होगा.