नई दिल्ली: विज्ञान चमत्कार को नमस्कार का नाम है लेकिन जब चमत्कार से किसी के कारोबार पर असर पड़े तो फिर कंपनियां उसे नमस्कार करना ही ठीक समझती है. दुनिया की कई बड़ी खोज इसलिए धूल खा रही हैं क्यों कि उनसे जनता को तो फायदा हो रहा था लेकिन उद्योगपतियों को नहीं. हम यहां पर जिस रिसर्च की बात कर रहे हैं वो किसी मामूली आदमी का रिसर्च नहीं है बल्कि नासा का रिसर्च है लेकिन इसे बचाने का फैसला किया है दिल्ली के दो नामी ऑटोमोबाइल्स इंजीनियर्स ने.
इन नौजवान इंजीनियर्स ने नासा की टैक्नोलॉजी से एक ऐसी किट बनाई है जो पानी से ब्राउन्स गैस बनाती है. ब्राउन्स गैस में हाईड्रोजन और ऑक्सीजन होते हैं. हाइड्रोजन जलती है और ऑक्सीजन जलने में मदद करती है. इस ब्राउन्स गैस को हवा के ज़रिए इंजन में पहुंचा दिया जाता है. इन इंजीनियर्स ने माइपोल्ड नामसे एक कंपनी बनाई है. ये कंपनी ईंधन की मार्केटिंग कर रही है.
इस तकनीक से एक तो गाड़ी की पावर चमत्कारी तरीके से बढ़ जाती है दूसरा प्रदूषण भी कम हो जाता है. साथ ही ईंधन की खपत भी 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इतना ही नहीं धुएं से निकलने वाले हाईड्रोकार्बन और कार्बन मोनो ऑक्साइड भी इस तकनीक से 99% तक कम हो जाते हैं.
इस तकनीक के जरिए कोशिश की जा रही है कि हाइड्रोन ईंधन की तरफ एक कदम बढ़ाया जाए. इस कंपनी का दावा है कि हाइड्रोजन ईंधन को लेकर इनफ्रास्ट्रक्चर की जो सबसे बड़ी अड़चन है वो इस तकनीक से दूर हो सकती है क्योंकि इसमें गैस भरवाने आपको कहीं नहीं जाना होता बल्कि ये आपकी कार में ही बनती है.
सबसे बड़ी खूबी इस गैस की है मनुष्यों के लिए सुरक्षित होना. कितना भी बड़ा लीकेज होने की हालत में इससे इनसान की सेहत पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता.
जाहिर बात है इस तकनीक को अपनाने की होड़ मच गई है. कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि जैसे जैसे लोगों को पता चल रहा है वो किट की डिमांड कर रहे हैं.कंपनी ने इस अविस्कार की मार्केटिंग के लिए भी कंपनी ढूंढ ली है….. नाम की ये कंपनी देश भर में बिक्री का जिम्मा संभाल रही है. हालात ये है कि जितनी किट बन रही हैं उससे ज्यादा की एडवांस बुकिंग होने लगी है. कंपनी का अगला कदम उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है ताकि मांग को पूरा किया जा सके.