- नई दिल्ली : अब तक तो सरकारी नीतियों में ही बड़े औद्योगिक घरानों को तरजीह दी जा रही थी अब और भी खतरनाक बीमारी आने जा रही है. प्राइवेट कंपनियों के आला अफसरों को अब सीधे देश की सबसे अहम फाइलों तक की पहुंच दी जा रही है. इन कंपनियों के अफसर सरकारी फाइलें देख ही नहीं सकेंगे बल्कि उनपर साइन करेंगे और बड़े फैसले लेंगे.
देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली सिविल सेवाओं में परीक्षा के माध्यम से भर्ती के अलावा केंद्र सरकार अब लैटरल एंट्री के नाम पर सरकारी मेत्रालयों और कार्यालयों में कार्पोर्टे अफसरों की एंट्री का प्रावधान करने जा रही है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. इसमें प्राइवेट कंपनियों के अफसरों को सीधे आईएएस या आईपीएस बनाया जा सकेगा.
सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के अधिकारियों को विभिन्न विभागों में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रैंक के पदों पर नियुक्त किया जाए. सूत्रों के मुताबिक, निजी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनकी योग्यता और अनुभव के आधार सीधे आईएएस बना दिया जाएगा. हालांकि, ऐसे लोगों के मौजूदा वेतन का निर्धारण नहीं किया जाएगा.
कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी समिति ऐसे लोगों का अंतिम रूप से चयन करेगी. बतादें पिछले साल ही अगस्त में कार्मिक राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा था कि सरकार ऐसी कोई समिति नहीं बना रही. यह बताया था कि ऐसी समिति गठित करने की कोई योजना नहीं है, जो सिविल सेवाओं में लैटरल इंट्री की संभावना पर विचार कर सके. अब संसद से किए गए वादे से इतर ये कदम उठाया गया है माना जा रहा है कि शुरुआत में करीब 40 अफसरों को बैकडोर एंट्री मिलेगी.