कर्फ्यू की परवाह किए बगैर सहायता
जुबेदा बेगम इस हालात में मनावता का साथ नहीं छोड़ती हैं और कर्फ्यू की चिंता किए बिना अपने पति के साथ मिलकर एक पंडित परिवार तक खाना पहुंचाती हैं. जुबेदा और उनके पति श्रीनगर की सुनसान सड़कों पर खाने का सामान लेकर अपने पंडित दोस्त के घर तक जाते हैं.
पंडित परिवार ने फोन कर मांगी मदद
जुबेदा और उनके पति अपनी जान को खतरे में डालकर उस पंडित परिवार तक पहुंचते हैं, जिन्होंने फोन कर इन्हें अपनी दुर्दशा बताई. जुबेदा ने कहा कि उसने मुझे सुबह फोन किया और कहा कि उनके परिवार को खाने की जरुरत है. उनके साथ उनकी बीमार दादी भी है. मैं उनके लिए खाना ले जा रही हूं. ये मुश्किल है, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं.
जोखिम भरे सफर के बाद ये मुस्लिम जोड़ा दीवानचंद के घर पहुंचता है. दीवानचंद ने कहा, ‘यहां सब लोग पीड़ित हैं. ऐसे मैं इनका यहां आना इंसानियत है. मैं इनका शुक्रगुजार हूं. दीवानचंद अपने परिवार के साथ यहां कई सालों से रह रहे हैं. वे यहां ऑल इंडिया रेडियो में काम करते हैं. उनकी पत्नी यहां के एक स्थानीय स्कूल में शिक्षक हैं, जहां जुबेदा भी काम करती हैं.