मोदी के 2019 के सपने को नितीश का झटका, जानिए क्यों आसान नहीं होगा दोबारा PM बनना

पटना : बिहार में महागठबंधन की सरकार के तनाव को देखते हुए यह बड़ी खबर है. आज कैबिनेट की बैठक के बाद डिप्‍टी सीएम तेजस्‍वी यादव सीधे सीएम नीतीश कुमार के कक्ष में मिलने गए. दोनों की इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो आज नितीश कुमार ने मोदी के 2019 के सपने को हल्का ही सही एक झटका ज़रूर दे दिया.

दर असल मोदी की 2019 में प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी की आप बात करते हैं तो सीधे मोदी की तुलना राहुल गांधी या किसी अन्य नेता से करते हैं लेकिन प्रधानमंत्री है कोई अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं. यहां सीधे राहुल या मोदी के लिए वोट नहीं पड़ते .लोग अपने सांसद को भी देखते हैं. पीएम बनने के लिए सीटों की ज़रूरत होती है. बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें लाने की हैं. और उससे भी बड़ा सवाल है कि ये सीटें कहां से आएंगी.

अगर बीजेपी के प्रदर्शन को देखें तो 2014 में उसने हिंदी बैल्ट में जबरदस्त सीटें जीती थीं. मसलन बिहार में पार्टी को 2014 में 22 सीटें मिलीं वो भी तब जब नितीश और बीजेपी साथ थे. अगर पार्टी को इतनी सीटें चाहिए तो उसे फिर नितीश के साथ आना होगा और लालू की जो पकड़ विधानसभा चुनाव में बनीं थी उसे वापस ज़ीरो के नज़दीक ले जाना होगा. तेजस्वी यादव से नितीश की मुलाकात कहती है कि मामला बदल रहा है. लालू और नितीश के समीकरण वापस ठीक हो रहे हैं. यानी बीजेपी केलिए घुसपैठ की संभावनाएं फिर कमज़ोर हो रही हैं.

बिहार तो उन राज्यों में से है जहां 2019 के लिए बीजेपी के लिए अपना प्रदर्शन दोहराना बेहद ज़रूरी होगा.  बिहार ही नहीं छत्तीसगढ़ में भी उसे 10 में से 10 सीटें, लानी होंगी. पिछले दो चुनाव से बीजेपी की इतनी ही सीटें आ रही हैं जाहिर बात है यहां से कुछ कम होंगी. गुजरात में पार्टी को अपनी 26 सीटें दोहरानी होंगी जबकि मोदी के सीएम रहते भी बीजेपी के पास 15 सीटें ही थीं. मध्यप्रदेश पार्टी को  27 सीटें मिली थीं ये संख्या 2009 में 16 ही थी यहां बीजेपी सरकार है, महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने 2014 में  23 सीटें हासिल की थी जबकि 2009 में उसे 9 सीटें ही मिली थीं.

सबसे अहम आंकड़ा  है यूपी का . 71 सीटें लेकर आने वाले मोदी अगर के पास इतनी सीटें बचा पाना  बड़ी चुनौती है. यहां बीजेपी की कुल 10 सीटें आती थीं.  दिल्ली में भी बीजेपी 0 से 7सीटों पर पहुंची थी. जाहिर बात है एक एक सीट बीजेपी के लिए कीमती है और नितीश को विपक्ष की एकता में सबसे कमज़ोर कड़ी के तौर पर देखा जा रहा था अगर वो मोदी से छिटकते हैं तो उनके 2019 मुश्किल सपना हो जाएगा.

जानकारी के अनुसार मंगलवार को बार कैबिनेट की बैठक में सीएम नीतीश तथा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लंबे समय बाद एक जगह दिखे. बैठक में तेजस्‍वी अपने मंत्री भाई तेजप्रताप के साथ उपस्थित रहे. उनके साथ राजद कोटे से मंत्री चंद्रशेखर, आलोक मेहता, विजय प्रकाश भी पहुंचे.

बहरहाल, सीएम नीतीश से तेजस्‍वी व तेजप्रताप की इस मुलाकात को महागठबंधन के अंदर किसी नई राजनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है, और बीजेपी के लिए एक झटके के तौर पर.