नई दिल्ली : सावधान, जल्द ही धरती से इनसानों का वजूद खत्म होने के हालात बन रहे हैं. ये खबर कोई उल्का पिंड गिरने या किसी ज्योतिषी की भविष्यवाणी की नहीं है. दर असल पुरुषों के अंदर बनने वाले शुक्राणु अब कम होते जा रहे हैं. जब शुक्राणु ही नहीं होंगे तो आदमी बच्चे कैसे पैदा करेगा. हाल ही में करीब 200 अध्ययन किए गए जिनका एक ही नतीजा था कि पुरुषों के शुक्राणु पिछले 40 सालों में आधे (50%) रह गए हैं.
बच्चे पैदा करने की क्षमता के मामले में सबसे बुरा असर, उत्तर अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पुरुषों पर पड़ रहा है. जापान में तो हाल और भी खराब है. वहां के 40 फीसदी लोग सैक्स का अनुभव किए बगैर ही बूढ़े हो जाते हैं.
हालांकि ह्यूमन रिप्रोडक्शन (मनुष्यों की प्रजनन प्रक्रिया) पर आई इस रिपोर्ट को कुछ विशेषज्ञ संदेह की नज़र से देख रहे हैं. लेकिन शेध टीम का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर हगाई लेविन कहना है कि वे शोध के नतीजों को लेकर बहुत चिंतित हैं और उन्हें लगता है कि आने वाले समय में ये मुमकिन है. कि आदमी कम होते चले जाएं. दूसरे नज़रिए से देखें तो इन देशों की आबादी भारत और चीन जैसे देशों के नागरिक बढ़ाएंगे.
रिसर्च की खासियत
शोध के नतीजों का मूल्यांकन पैमाने के लिहाज से अब तक का सबसे बड़ा है. इसमें 1973 से 2011 के बीच किए गए 185 अध्ययनों के नतीजों को शामिल किया गया है.
डॉक्टर हगाई लेविन एक एपेडिमियोलॉजिस्ट (संक्रामक रोगों का विशेषज्ञ) हैं. उनका कहना है कि अगर ये ट्रेंड जारी रहा तो मानव जाति लुप्त हो सकती है. उन्होंने कहा, अगर हमने अपने जीने का तरीका नहीं बदला तो आने वाले कल में क्या होने वाला है, इसे लेकर मुझे फिक्र होती है.
हालांकि उन वैज्ञानिकों ने भी रिसर्च की क्वॉलिटी की तारीफ की है जो इससे जुड़े हुए नहीं हैं. लेकिन उनका कहना है कि ऐसे नतीज़ों पर पहुंचना फिलहाल जल्दबाज़ी है.
डॉक्टर लेविन का रिसर्च उत्तरी अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पुरुषों पर फोकस है जबकि दक्षिण अमरीका, एशिया और अफ्रीका में ऐसी कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है.पर शोधकर्ता इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि इन महादेशों में अभी तक इस मुद्दे पर कम ही खोजबीन की गई है. डॉक्टर लेविन को लगता है कि आखिरकार इन जगहों पर रहने वाले पुरुषों को भी देर-सवेर इस समस्या से जूझना पड़ेगा.