लखनऊ : गोरखपुर में 30 बच्चों की मौत के मामले में अब उंगलियां सीधे योगी आदित्यनाथ की ओर उठने लगी है. नॉकिंग न्यूज़ के पास मौजूद ताज़ा जानकारी कहती है कि सीएम का दफ्तर अगर चौकस होता तो एक भी बच्चे की मौत नहीं होती. हमारी पड़ताल में कई तथ्य इसकी तरफ इशारा करते हैं.
पहला तथ्य
हादसे से हफ्ते भर पहले स्थानीय अखबार हिंदुस्तान ने बाकायदा सरकार को आगाह करते हुए रिपोर्ट छापी थी कि बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट है और वहां लिक्विट ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो सकती है. इस खबर की प्रति बाकायदा जनसंपर्क विभाग ने आगे भेजी. मतलब साफ है कि सरकारी अधिकारियों को इस बार में खबर थी ही योगी आदित्यनाथ के नज़दीकी लोग भी जानते थे कि अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट है.
दूसरा तथ्य
9 अगस्त को सीएम योगी गोरखपुर के इसी अस्पताल के दौरे पर थे. उन्होंने अस्पताल के वार्डों में मुंह पर मॉस्क लगाकर फोटो भी खिंचवाएं. अधिकारियों के साथ बाकायदा समीक्षा भी की .इससे संबंधित फोटो भी योगीजी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किए. लेकिन ऑक्सीजन के मसले पर कुछ नहीं हुआ. इससे पता लगाया जा सकता है कि अपने प्रदेश से कितने बेखबर हें सरकार.
तीसरा तथ्य
कुछदिन पहले ही गोरखपुर में जब सीएम आदित्यनाथ मौजूद थे. तो उन्होंने अधिकारियों के साथ जीडीए सभागार समीक्षा बैठक की और उस बैठक में भी स्वास्थ्य विभाग ने अपनी समस्याएं रखी थीं. बताया जाता है कि योगी का ज्यादातर ध्यान गाय माफिया, खनन माफिया , और वन माफिया से निपटने पर था अफसरों को सख्त भी निर्देश दिए कहा कि जैसे भी हो इन तीनों माफियाओं के बारे में प्रशासन खबर रखे. लेकिन मरीजों की ऑक्सीजन पर कोई चर्चा नहीं हुई.