आगजनी और हत्याओं के लिए डेरा समर्थकों को क्लीन चिट देने की तैयारी में खट्टर?

नई दिल्ली : कुछ सवाल बेहद गंभीर हैं. चौंकाने वाले भी हैं. क्या डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद हिंसा नहीं की ?  क्या डेरा समर्थक सिर्फ हड़दंग मचा रहे थे? उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जो लोगों की जान केलिए खतरनाक होता ? सरकार ने दावा किया है कि एक भी शख्स डेरा समर्थकों के हमले में नहीं मारा गया ? न ही घायल हुआ ? जी हां. सभी 32 में से एक भी मौत लोग डेरा समर्थकों हाथ से नहीं बल्कि पुलिस की गोली से हुई हैं. हरियाणा सरकार का ये बयान खुद हरियाणा पुलिस के डीजीपी बीएस संधु से आया है. क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि डेरा समर्थकों को काबू करने के लिए पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां चलाई हैं.

इन सारे सवालों के बीच बार बार ये सवाल भी उठ रहा है कि पुलिस ऐसा बयान क्यों दे रही है? क्यों वो हत्याओं और आगजनी के लिए डेरा वालों को क्लीन चिट देने की तैयारी कर रही है ? पूरे देश ने देखा कि डेरा समर्थकों  ने उत्पात मचाया फिर भी हरियाणा पुलिस सारी हत्याएं खुद के सिर लेने को तैयार है क्यों ?

क्या ये भी खट्टर और राम रहीम के बीच के आपसी दोस्ताने का नतीजा है. क्या हिंसा और आगजनी के गंभीर मामलों से खट्टर डेरा को मुक्त रखना चाहते हैं ? या ये सत्य है सिर्फ सत्य ? अगर ये सत्य है तो और भी गंभीर है क्यों कि किसी भी राज्य की पुलिस को ये अधिकार नहीं है कि वो लोगों की जान ले जबकि इसके बगैर काम चल सकता है. नॉकिंग न्यूज़ ने खट्टर और बाबा राम रहीम की नज़दीकियों की कई ठोस खबरें प्रकाशित की हैं लेकिन हम अकेले नहीं है

आप पढ़िए कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बाबा पर क्या कहा –

हिंसा पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने खट्टर सरकार को लगातार तीसरे दिन जमकर लताड़ा है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया. ऐसा लगता है कि सरकार ने सरेंडर कर दिया.

इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायियों द्वारा की जा रही हिंसा और आगजनी के कारण हुई क्षति की भरपाई डेरा सच्चा सौदा से कराई जाए.

राजनीतिक दबाव को समझते हुए पीठ ने आदेश में कहा, स्थिति से निपट रहे अधिकारी बिना भय के और निष्पक्षता के साथ अपना काम करे.

हाई कोर्ट ने फैसले पर किसी भी तरह के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्टेटमेंट पर पाबंदी लगाते ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर करने का निर्देश दिया था. फिर भी साक्षी महाराज का बयान आया लेकिन खट्टर ने कोई कदम नहीं उठाया .