नई दिल्ली : किसी के लिए चवन्नी खर्च नहीं करते. लेकिन कभी सोचा कि बलात्कार के मामले में अदालत से दोषी होने के बावजूद बाबा गुरमीत राम रहीम के लिए लोग जान देने को तैयार क्यों हैं. क्यों लोगों ने पुलिस की बंदूकों का सामना करते करते जान दे दी. ये सवाल सबके मन में आता है. कुछ लोग सोचते रह जाते हैं तो कुछ उनके चाहने वालों को मूर्ख कहकर बात खत्म कर देते हैं लेकिन इस सवाल का जवाब उनके चाहने वाले ही दे सकते हैं. वो ही बता सकते हैं कि वो गुरमीत जैसे अनपढ़ आदमी को भगवान क्यों मानते हैं.
बीबीसी ने राम रहीम के मानने वाले एक परिवार से ये जानने की कोशिश की. इसी खोज के उन्हें युवा सोनू यादव मिलें.
सोनू का परिवार डेरा के पास रहता है. उन्होंने डेरा से अपनी पढ़ाई पूरी की है. वह फर्राटेदार अंग्रेज़ी में बात करते हैं.
राम रहीम का उनके जीवन में क्या मायने हैं, इस सवाल पर सोनू कहते हैं, “बाबाजी ने शुरू से हमें अच्छी शिक्षा दी, रहने का ढंग सिखाया. समाज के प्रति नैतिकता और इंसान की भावना क्या होनी चाहिए, यह उन्होंने बताया. हम उन्हें अपना गुरु मानते हैं.”
बीबीसी संवाददाता को उन्होंने आगे कहा, “बाबाजी ने न सिर्फ़ अच्छी शिक्षा दी, बल्कि अच्छे कर्म करना भी सिखाया. वह सब कुछ किया जो एक बाप अपने बच्चों के लिए करता है, उन्होंने हर तरह से हमारा ख्याल रखा.”
सोनू बोल ही रहे थे कि बीच में उनकी मां सरोज उसे रोकते हुए कहती हैं, “बाबा जी हमारे मां-बाप की तरह हैं. उन्होंने हमें सेवा और सुमिरन करना सिखाया है. मैं 26 सालों से उनसे जुड़ी हूं. उन्होंने हमारे बच्चों को पढ़ाया. कोई भी दुख-तकलीफ़ आती थी, बाबा उन्हें दूर करते. वो हमारे लिए मां-बाप से बढ़कर हैं.”
सरोज कहती हैं, “हमारे लिए बाबा का डेरा ही हमारी दुनिया है.”
सोनू कहते हैं, “बाबाजी ने हमें तीन गुरुमंत्र दिए हैं. नशा नहीं करना है, पराई लड़कियों का सम्मान करना और बड़ों का आदर करना. डेरा लोगों की भलाई के लिए काम कर रहा है.”
सोनू राम रहीम के जनहित कार्यों का उल्लेख करते हुए कहते हैं, “बाबा वेश्याओं और विधवा को बेटी बनाकर उनकी शादी करवाते हैं. ऐसी महिलाओं से शादी करने के लिए काफी संख्या में लड़कें आवेदन करते हैं.”
“सड़कों पर फेंके हुए अनाथ बच्चियों के लिए बाबाजी ने आश्रम बना रखा है. वहां की लड़कियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बन रही हैं. अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग ले रही हैं.”
सरोज कहती हैं, ” बाबाजी गरीबों को मकान बनाकर देते हैं. बीमारों का इलाज करवाते हैं. भूखे को खाना देते हैं. गरीब लड़कियों की शादी करवाते हैं. गुरुजी हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं.”
क्या बाबा में दिव्य शक्तियां समाहित हैं, इस सवाल पर सोनू कहते हैं, “बाबा में दिव्य शक्तियां है. हम जो गुरुमंत्र का जाप करते हैं उससे हमें आत्मशक्ति मिलती है. आत्मविश्वास बढ़ता है. यह कोई चमत्कार से कम नहीं है.”
सोनू अपनी एक आपबीती सुनाते हुए बतातै हैं, “मेरे पिता को 2006 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. उन्हें हम चंडीगढ़ ले गए, जहां उनका ऑपरेशन होना था. ऑपरेशन थियेटर जाने से पहले वह गुरुमंत्र का जाप करने लगे. डॉक्टर ने ऑपरेशन थियेटर से वापस भेज दिया और कहा कि ये बिलकुल ठीक हैं. यह कोई चमत्कार से कम नहीं था हमारे लिए.”
राम रहीम खुद को संत बताते हैं. और एक संत का फिल्म बनाना कितना सही है, इस सवाल पर सोनू कहते हैं, “बच्चे सत्संग छोड़कर फिल्म देखने चले जाते थे. फिल्मों में उन्हें अच्छे संदेश मिले, इसके लिए गुरुजी ने उनलोगों के लिए फिल्में बनाई.”
“युवाओं को फिल्मों की अश्लीलता से दूर रखकर अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से बाबाजी फिल्मों में आए.”
राम रहीम को 20 साल की सज़ा मिली है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनू कहते हैं, “हमारे गुरु पर हमलोगों का पूरा यकीन है. वह साजिश के शिकार हुए हैं. ये जो न्यूज चैनलों पर दिखाया जा रहा है, सब गलत है. ये चैनल वालें दुनिया में नकारात्मक सोच फैला रहे हैं.”
“बाबा के छह करोड़ अनुयायी हैं. छह करोड़ लोग गलत नहीं हो सकते. एक गुमनाम चिट्ठी के आधार पर फैसला दिया गया है, यह बिलकुल गलत है.”
सोनू आगे कहते हैं, “हमलोगों को यकीन है कि गुरुजी कुछ दिनों में निर्दोष साबित होंगे और राजनीतिक पार्टियों की साजिश दुनिया के समाने होगी. हमलोग कभी उम्मीद नहीं छोड़ेंगे.”
इसी बीच सरोज कहती हैं, ” बाबा अब जेल में हैं लेकिन हम लोग डेरा जाते रहेंगे. हम लोग छोड़कर नहीं जाएंगे. हमारा जो लगाव है वह बना रहेगा. उनके रास्ते पर हम चलते रहेंगे” (courtsey-BBC)