फैजाबाद: रामजन्मभूमि की ज़मीन के मालिक और प्रमुख पक्षकार व निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास का लंबी बीमारी के बाद अयोध्या में निधन हो गया.बीते मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें देवकाली स्थित निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था. तभी से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी. महंत भास्कर दास की उम्र 89 साल थी. इनका अंतिम संस्कार अयोध्या में तुलसी घाट पर होगा. आपको बता दें कि सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से निर्मोही अखाड़ा राम जन्मभूमि वाली ज़मीन का कानूनन मालिक था. वो राम जन्मभूमि के लिए आंदोलन करने वालों के जबरदस्ती यहां हक जताने के खिलाफ था. यही वजह थी कि राम मंदिर आंदोलन करने वाले लोग सिर्फ आस्था का सवाल उठा रहे थे.
महंत भास्कर दास के बाद उनके उत्तराधिकारी पुजारी राम दास के बताया मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ व ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद से ही हालत खराब होती गई. शनिवार सुबह उन्होंने आखरी सांस ली है. महंत के निधन की सूचना के बाद उनके शिष्यों का जमावड़ा अयोध्या स्थित मंदिर में लगने लगा है.
शुक्रवार को भी उनका हालचाल जानने वालों का तांता लगा रहा था. इसमें शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, सदस्य अशफाक हुसैन जिया, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, महंत गिरीश दास, भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अभिषेक मिश्र, ज्ञान केसरवानी समेत कई अन्य संतों व नेताओं ने उनके उत्तराधिकारी व नाका हनुमानगढ़ी के पुजारी रामदास से उनका हालचाल जाना.
महंत भास्कर दास गोरखपुर के रहने वाले थे. 16 साल की उम्र में वे अयोध्या की हनुमान गढ़ी पहुंचे थे. जहां वह महंत बलदेव दास निर्मोही अखाड़ा के शिष्य बने. इसी दौरान उनकी शिक्षा दीक्षा भी हुई. इसके बाद उन्हें राम चबूतरे पर बिठा दिया गया और पुजारी नियुक्त किया गया. 1986 में भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास का निधन हो गया, जिसके बाद इन्हें हनुमान गढ़ी का महंत बना दिया गया. 1993 में महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच बन गए थे. फिर 1993 में ही सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया. तब से यही निर्मोही अखाड़े के महंत रहे.
बता दें, इससे पहले बाबरी मस्जिद के सबसे बुजुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी का का भी निधन हो गया है. उनका निधन 20 जुलाई 2016 को 96 साल की उम्र में हुआ. उन्होंने अयोध्या में मंदिर और मस्जिद अगलबगल बनाने की पेशकश की थी.