गुरुग्राम: प्रद्युम्न हत्याकांड की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है हैल्पर अशोक के बेकसूर होने की कहानी भी सही दिखने लगी है. सीबीआइ की एक टीम अशोक के गांव घामडोज. चार सदस्यीय टीम में एक महिला अधिकारी भी शामिल थी. टीम ने अशोक की पत्नी ममता से छह-छह सवाल पूछे. टीम ने अशोक के पिता अमीचंद से भी पूछताछ की सवाल वही थे जो ममता से किए गए थे. टीम यह चेक कर रही थी कि घर वाले अलग-अलग बयान तो नहीं देते. दोनों के उत्तर काफी हद तक मिलते-जुलते थे.
सीबीआइ अधिकारी: आपके पति का स्वभाव कैसा था? उसकी आपसे पटती थी कि नहीं ?
ममता: मेरी खूब पटती थी साहब कभी मुझे एक थप्पड़ तक नहीं मारा तो एक बच्चे को वह कैसे मार देगा. हां वह गुमसुम जरूर रहते थे. वह उनकी बचपन की आदत है.
सीबीआइ अधिकारी: आपका पति किसी पीर बाबा की पूजा करता है क्या किसी तांत्रिक ने बता रखा है ?
ममता: नहीं, ऐसा नहीं पीर बाबा की पूजा हर बृहस्पतिवार को पूरे गांव के लोग करते हैं. मेरा पति तो तंत्र विद्या पर यकीन ही नही करता था.
सीबीआइ अधिकारी: घर शौचालय है या नहीं क्या अशोक घर से फ्रेस होकर नहीं जाता था ?
ममता: घर में शौचालय नहीं है बनवाने की सोच रहे थे. अशोक व हम सभी लोग बाहर ही शौच के लिए जाते थे. जिस दिन घटना हुई उस दिन अशोक लेट उठा था और वह स्कूल बगैर फ्रेस हुए ही निकल गया था. हो सकता है कि वह स्कूल के बाथरूम में फ्रेस होने के लिए गया हो.
सीबीआइ अधिकारी: यह तो नहीं बताया कि किसने मारा ?
ममता: नहीं मैंने पूछा था उसके बापू ने भी सही सवाल किया था वह तो यही कहकर रोने लगा था कि पुलिस ने मार-मार कर सब कुछ कहला लिया.