नई दिल्ली : य़ोगी सरकार में रेरा जैसे जबरदस्त कानून का खुल्लम खुल्ला मज़ाक उड़ रहा है.बिल्डर्स के साथ योगी सरकारी के दोस्ताने का नतीजा ये है कि उन्होंने पजेशन की तारीख ग्राहकों से किए गए एग्रीमेंट और खुद ऐलान की गई तारीखों से दो से तीन साल ज्यादा बढ़ा दी है. ये जानकारी बाकायदा रेरा की साइट पर है. जिसे कंप्लीशन 2014 में देना था उसने रेरा की साइट पर 2018 दिखाकर लेट प्रोजेक्ट को ऑन टाइम दिखा दिया है. गाज़ियाबाद में भी जिन प्रॉजेक्ट्स को लांच करते समय उनके कंपलीट होने की डेट साल 2014 लिखी गई थी, अब रेरा की वेबसाइट पर उसी प्रोजेक्ट की कंपलीशन डेट 2018 दिखा रहा है, जबकि प्रॉजेक्ट 4 साल लेट हो चुका है.
बायर्स इस बारे में अथॉरिटी में शिकायत कर रहे हैं और उनसे बिल्डर से प्रॉजेक्ट जल्द कंपलीट कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि बिल्डर्स की ओर से रेरा की साइट पर ही प्रॉजेक्ट की गलत डिटेल दी जा रही है जिससे आम बायर्स को ये लग रहा है कि अभी तो प्रॉजेक्ट कंपलीट होने में ही समय हैं.
नोएडा सैक्टर 75, सैक्टर 76 और आस पास के प्रोजेक्ट के बिल्डर इस बारे में जमकर खेल कर रहे हैं. वहीं गाजियाबाद इंदिरापुरम, वसुंधरा, वैशाली, मोहन नगर, जीटी रोड और सिद्धार्थ विहार में कई ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां बन रही हैं, इनमें से कुछ बिल्डर तो आनन-फानन में बिना अथॉरिटियों से कंपलीशन और एनओसी लिए हुए ही पजेशन दे दे रहे हैं. न तो फायर डिपार्टमेंट से एनओसी ली जा रही है न ही अथॉरिटी से प्रॉजेक्ट कंपलीट होने का सर्टिफिकेट. दरअसल इन दिनों बिल्डर उन बायर्स को फ्लैट का पजेशन दे रहे हैं जो बैंक की किश्त और किराया दोनों वहन नहीं कर सकते हैं.
नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अलावा जीडीए में अब कुछ नए अफसर आ गए हैं और जो मायावती और समाजवादी पार्टी के दौर में होता था वो अब खुलकर हो रहा है .बताया जा रहा है कि इन अफसरों को यहां लाया ही इसलिए गया है ताकि काम की “रफ्तार” बढ़ सके