नई दिल्ली : एक समाचार माध्यम के लिए ऐसी टिप्पणी ठीक नहीं होती फिर भी हम लिख रहे हैं. बीजेपी ने नाम बदलने से ज्यादा काम की राजनीति की होती तो शायद आज मुंबई के 22 बेकसूर लोग न मारे जाते.. दो स्टे शनों को आपस में जोड़ने वाले इस ब्रिज पर भारी भीड़ के चलते अक्सृर लोग हादसे का शिकार होते रहे हैं. यही कारण है कि एलफिंस्टबन पर एक और ब्रिज बनाए जाने की मांग लंबे समय से आती रही है. शिवसेना का कहना है कि फुटओवर ब्रिज को लेकर उनके सांसद ने खत लिखा था, लेकिन रेल मंत्री ने कोई कदम नहीं उठाया.
प्रचार की भूखी सत्ता धारी पार्टी ने इस समस्या को दूर करने का हवा हवाई तरीका निकाला ब्रिज ठीक करने की जगह उसने जुमले बाजी की. बुलेट ट्रेन जैसे नाम बदलने के इमोशनल काम किए लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं किया. इस हादसे से सुरेश प्रभु की कार्यशैली का भी अंदाज़ा लगता है. जानकार कहते हैं कि उनकी कार्यशैली भी दिखावे वाली ज्यादा थी.
शिवसेना ने इस संबंध में मीडिया में बाकायदा वे खत भी जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही शिवसेना के नेताओं का आरोप है कि सुरेश प्रभु ने फंड नहीं होने का हवाला देते हुए जायज मांगों को ठुकरा दिया था. अब रेल मंत्री कह रहे हैं कि हम ब्रिज को चौड़ा करने को तैयार है. उधऱ रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा इसके उलट कह रहे हैं कि पुल ठीक है. भगदड़ अफवाह के कारण मची.
लेकिन वक्त रहते रेलवे ने पुल बनाने की जगह लोकप्रिय होने के लिए नाम बदलने को आसान तरीका माना. एल्फिंस्टन का नाम बदलकर प्रभादेवी रख दिया. लोगों की राष्ट्रीय भवना जाग गई और पुल जनता के बोझ से हिलता कांपता रहा. बता दें कि एलफिंस्टीन स्टेीशन, वेस्टनर्न रेलवे का स्टेबशन है, जिसका हाल ही में नाम बदल कर ‘प्रभादेवी’ स्टेीशन किया गया है.
एलफिंस्टीन स्टेीशन, वर्ली, प्रभादेवी जैसी इलाको को लोकल ट्रेन की कनेक्टिविटी देता है. इस इलाके में कई प्राइवेट और सरकारी दफ्तर हैं, जिसके लिए लोग इसी स्टेरशन का इस्तेकमाल करते हैं. ऐसे में पीक आवर्स में लोगों को अक्सरर भीड़ का सामना करना पड़ता है.इसी लिए इसे चौड़ा करने की मांग लगातार होती रही. वैसे भी पुल पुराना और काफी जर्जर हो गया था.
लेकिन रेलवे ने कुछ नही किया. यहां का पुल लगातार हिलता रहता था लेकिन कोई सुनवाई कभी नहीं हुई. आज भी हादसे से पहले अफवाह उड़ी कि पुल गिर रहा है. बता दें कि पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्रि विधानसभा ने ‘एलफिंस्टेन रोड स्टे शन’ और ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ और मुंबई एयपोर्ट का नाम बदलने के प्रस्ताटव को मंजूरी दी थी.