नई दिल्ली : यशवंत सिन्हा ने जब वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमले किए तो बीजेपी का एक बड़ा धञ़ा तालियां बजा रहा था , सिन्हा का साथ दे रहा था. ज्यादातर बड़े नेता जेटली की तरफ से नहीं बोल रहे हैं. वो चुप हैं. निशाना हैं अरुण जेटली. इक्का दुक्का बयान राजनाथ सिंह बगैरह की तरफ से आया भी तो हवा हवाई टाइप का था जैसे भारत की अर्थव्यवस्था की दुनियाभर में तारीफ हो रही है बगैरह बगैरह.
देखने में ये सिर्फ एक राजनीतिक हमला है जो वित्तमंत्री अरुण जेटली पर किया जा रहा है लेकिन दरअसल ये तैयारी है एंटी इनकंबेंसी यानी जनता की नाराज़गी दूर करने की . संघ की राजनीति को नज़दीक से देखने वाले लोग कहते हैं कि जेटली पर होने वाल हर हमला दरअसल मोदी सरकार की असफलता का ठीकरा जेटली के सिर फोड़ने की कोशिश है.
यशवंत सिन्हा का बयान सिर्फ एक भूमिका है जो इस नीयत से दिया गया है कि आने वाले समय में अगर अर्थव्यवस्था गिरती है तो जेटकील को बली का बकरा बनाकर मोदी को 2019 में फिर से मैदान में उतारा जा सके.
इस नयी रणनीति के पीछे दो चीज़ें हैं.
1. संघ का अंदरूनी सर्वे
2. एंटी इनकंबेंसी का मुकबाला करने की अमितशाह का प्रयोग.
- पहले बात संघ के सर्वे की नॉकिंग न्यूज़ ने ये सर्वे पूरी तफ्सील से छापा था. वायरल भी हुआ. संघ के सीक्रेट अंदरूनी सर्वे में सरकार की नोटबंदी फेल होने, जीएसटी के उल्टा पड़ जाने और किसानों विरोधी छवि बनने की बात कही गयी थी. सर्वे ने कहा गया था कि 2019 मोदी के लिए मुश्किल हो सकता है. इस सर्वे से मोदी की छवि को बचाने की कवायद शुरू हो गई थी.
- अब आते हैं अमित शाह के प्रयोग पर. अमितशाह ने विवेकानंद फाउंडेशन और दूसरे संस्थानों की मदद से एक फॉर्मला विकसिंत किया . फार्मूला था असफलता को पार्टी से व्यक्तियों के सिर मढ़ दो. गुजरात और दिल्ली के स्थानीय निकायों के चुनाव में सभी उम्मीदवारों को बदला गया और नतीजे जबरदस्त आए. जबरदस्त करप्शन में डूबी बीजेपी ने सारे उम्मीदवारों के टिकट काट दिए और लोगों का गुस्सा उतर गया.
जेटली के मामले में कोशिश है कि सारी असफलताओं के लिए अरुण जेटली को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए. यशवंत सिन्हा का बयान इसकी शुरुआत लगता है. इससे धीरे धीरे माहौल जेटली के खिलाफ बनता जाएगा और 2018 के मध्यतक जेटली को विदा कर दिया जाएगा.
यही वजह है कि जेटली पर हमले के बालजूद कांग्रेस मोदी पर ही निशाना साध रही है. उसका कहना है कि नोटबंदी का फैसला खुद मोदी का था जेटली का नहीं. उन्होंने कहा भी था कि सारी जिम्मेदारी उनकी होगी लेकिन यशवंत सिन्हा बड़ी ही सफाई से प्रधानमंत्री का नाम गायब कर देते हैं निशाना बनाया जाता है जेटली को. यही हाल जीएसटी का है.
ऐसा नहीं है कि जेटली को निशाना बनाने के के लिए संघ ने किसी पहले व्यकित को काम पर लगाया है. इससे पहले ये काम सुब्रहमण्यम स्वामी को सौंपा गया था.
बहरहाल हालात कह रहे हैं कि अगले एक साल के भीतर अरुण जेटली को असफलता के लिए दोषी ठहराकर दंड़ित कर दिया जाएगा और मोदीजी की महानाता को कायम रखने की कोशिश होगी. 2019 में मोदी को बचान के ये सबसे अच्छा तरीका दिखाई देता है.