नई दिल्ली: रोहिंग्या शरणार्थी जल्द ही म्यामार वापस जा सकते हैं. इस मामले में सहमति बनी है और म्यामार सैद्धांतिक तौर पर रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने को तैयार हो गया है. उधर रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत, बांग्लादेश और म्यांमा में राजनयिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. साथ ही, तीनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों सुरक्षा भी बढ़ा दी है. सोमवार को नई दिल्ली में भारत और बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बल प्रमुखों की वार्ता में घुसपैठ के मद्देनजर चर्चा होगी.
इस बैठक के नतीजों के बारे में म्यांमार को अवगत कराया जाएगा. तीनों देशों के बीच राजनयिक कवायद के सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. रविवार को बांग्लादेश और म्यांमा के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच ढाका में वार्ता हुई, जिसमें म्यांमा सरकार अपने शरणार्थियों को वापस बुलाने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत हो गई है.
संयुक्त राष्ट्र का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को ढाका और म्यांमा के दौरे पर होगा, उसमें इस सहमति को संधि का जामा पहनाए जाने के आसार हैं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एएच महमूद अली ने रविवार को ढाका में म्यांमा के एक वरिष्ठ प्रतिनिधिमंडल को राजनयिक स्तर की वार्ता के लिए बुलाया था. बैठक के बाद अली ने एलान किया कि म्यांमा अपने हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने के लिए तैयार है. म्यांमा के प्रतिनिधिमंडल ने ही उन लोगों को वापस लेने का प्रस्ताव किया है.
हाल के हफ्तों में ये लोग बांग्लादेश भाग गए थे. अली ने कहा, वार्ता दोस्ताना माहौल में हुई और म्यांमा ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने का प्रस्ताव किया है. इस वार्ता के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर तीनों देशों की निगाह है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी मामलों के उप महासचिव मार्क लवलॉक और कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक सोमवार को ढाका पहुंचेंगे.
ये दोनों शरणार्थी समस्या पर वार्ता आगे बढ़ाने जा रहे हैं. तीन दिवसीय दौरे में ये लोग बांग्लादेश और म्यांमा के अफसरों से मिलेंगे.