टोक्यो : जापान के वर्क कल्चर को महान मानने वाले इस कड़वी सच्चाई को भी जान लें.
जापान कर्मचारियों के लिए नरक से कम नहीं. वहां का वर्क कल्चर जान लेवा है.
जापान में एक महिला रिपोर्टर की ओवरटाइम करने के कारण मौत हो गई.
हैरानी की बात ये है कि इस बात का खुलासा उसकी मौत के चार साल बाद हुआ.
31 साल की मीवा सादो नेशनल ब्रॉडकास्टर में राजनीति कवर करती थीं.
साल 2013 में जुलाई में उनकी किन्हीं कारणों से मौत हो गई.
अब उनकी मौत के चार साल बाद जाकर उनकी मौत का खुलासा हुआ है जिससे जापान के वर्क कल्चर का एक डरावना चेहरा उभर कर सामने आता है.
जापान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मीवा की मौत का कारण ओवरटाइम है.
उन्होंने जून में 159 घंटे और 37 मिनट ओवरटाइम किया था.
वहीं इससे पहले यानी मई के महीने में भी मीवा ने 147 घंटे ओवरटाइम किया था.
उनकी मौत की जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि पूरे महीने में मीवा ने केवल दो दिन की छुट्टी ली थी.
इस दौरान मीवा वहां हो रहे एक स्थानीय चुनाव को कवर कर रही थीं जिसके कारण उन्हें एक्स्ट्रा काम करना पड़ रहा था.
काम के बोझ के चलते मीवा का स्ट्रेस लेवल काफी बढ़ गया था और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
जापान में ओवरटाइम के कारण मौत का ये पहला मामला नहीं है.
इससे पहले भी एक एडवरटाइजिंग एजेंसी में काम करने वाली लड़की की ज्यादा काम करने के कारण मौत हो गई.
लड़की ने महीने में 100 घंटे से ज्यादा काम किया था और वो इतनी डिप्रेशन में चली गई थी कि उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया था.
इस कारण एड कंपनी के सीईओ को इस्तीफा देना पड़ा था.
जापान में हर साल ज्यादा काम करने के कारण हजारों मौतें होती हैं.
इस कारण होने वाली मौतों को ‘कारोशी’ कहते हैं यानी ‘ओवरटाइम से मौत’.
कारोशी का कारण हार्ट अटैक, स्ट्रेस के कारण स्ट्रोक और ज्यादा समय तक भूखे रहना हो सकता है.
आजकल युवाओं को नौकरी में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
गलाकाट प्रतियोगिता के बीच सभी पर खुद को साबित करने का प्रेशर है.
जापान के युवाओं पर ओवरटाइम के बाद भी सोशलाइज करने का प्रेशर रहता है.
ये युवा काम के बाद अक्सर कॉरपोरेट पार्टियों में जाते हैं जिससे इन्हें आने वाले वक्त में फायदा मिल सके.
इसे वर्क कल्चर का ही हिस्सा माना जाता है.
और ऐसा केवल जापान में नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में होता है.
न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक आजकल के युवा महीने में इतना काम करते हैं कि वो अपनी छुट्टियां भी नहीं ले पाते.
बॉस को खुश करने से लेकर डेडलाइन मीट करने तक, युवाओं पर काम का काफी बोझ होता है.
कई वेबसाइट्स के सर्वे के मुताबिक आजकल काम करने वाले लोगों में से 10 में 8 स्ट्रेस से जूझ रहे हैं.
स्ट्रेस, एंग्जाइटी, पैनिक अटैक्स इन लोगों की जिंदगी का आम हिस्सा बन गया है.
कई देशों ने अपने यहां वर्क कल्चर सुधारने के लिए कदम भी उठाए हैं.
फ्रांस, द नीदरलैंड्स, जर्मनी, न्यूजीलैंड्स जैसे देशों ने अपने यहां काम के घंटे कम किए हैं, वहीं जापान, चीन, साउथ कोरिया, भारत, अमेरिका में अभी भी लोग रोजाना 10 घंटे से ऊपर काम करते हैं.
भारत में भी 30 साल से कम उम्र के युवाओं में हार्ट अटैक के केस बढ़े हैं.
इनमे से अधिकतर को स्ट्रेस के कारण हार्ट अटैक आया था.