नई दिल्ली: भारत की अर्थ व्यवस्था को लेकर पीएम मोदी ने बड़ी बड़ी बातें की थीं.मोदी ने कहा था कि देश में आर्थिक हालात काबू में हैं और तेज़ी से लोग कार और ट्रैक्टर खरीद रहे हैं लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का ये सर्वे उनके दावों को चुनौती देने वाला है.
आरबीआई के सर्वे के अनुसार खरीदारी को लेकर लोगों का मनोबल गिर रहा है, निर्माण क्षेत्र के कारोबारी निराश हो रहे हैं और मुद्रा स्फीति बढ़ रही है. इतना ही नहीं विकास दर भी लगातार नीचे फिसल रही है.
आरबीआई के सर्वे के नतीजे उसकी चार अक्टूबर को पेश की गयी आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट से भी मेल खाते हैं. आरबीआई ने आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2017-18 में अनुमानित विकास दर 7.3 से घटाकर 6.7 कर दी थी.
आरबीआई के अनुसार पिछले चार तिमाहियों से आम उपभोक्ताओं में आर्थिक हालात को लेकर निराशा का भाव है. चार अक्टूबर को आरबीआई द्वारा जारी किया गया कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे कहता है कि सितंबर 2017 तक आम आर्थिक स्थिति के बारे में 34.6 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि स्थिति “सुधरी” है, जबकि सितंबर 2016 तक ऐसा मानने वालों की संख्या 44.6 प्रतिशत थी.
सर्वे के अनुसार सितंबर 2017 तक 40.7 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि आर्थिक स्थिति “बिगड़ी” है, जबकि सितंबर 2016 तक 25.3 प्रतिशत जवाब देने वाले ही ऐसा मानते थे.
सर्वे के अनुसार अगले एक साल में आर्थिक हालात बेहतर होंगे ऐसा मानने वालों की भी संख्या कम हुई है.
सर्वे के अनुसार करीब 50.8 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि “अगले एक साल में” आर्थिक स्थिति “बेहतर” होगी, जबकि दिसंबर 66.3 प्रतिशत जवाब देने वालों को लगता था कि “अगले एक साल में” आर्थिक स्थिति “बेहतर” होगी.
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे भारत के छह प्रमुख शहरों बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में कराया जाता है.
इसमें करीब 5100 लोगों से आम राय और आर्थिक स्थिति, रोजगार, महंगाई, निजी आमदनी और खर्च से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं.
“द करेंट सिचुएशन इंडेक्स (सीएसआई)” एक सब-इंडेक्स है जो आरबीआई के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे का हिस्सा होता है. इससे उपभोक्ताओं के वर्तमान आर्थिक हालात के बारे में राय पता की जाती है.
इसी तरह अगले छह महीने के आर्थिक हालात को लेकर उपभोक्ताओं की उम्मीद या आकांक्षा को फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स (एफईआई) सब-इंडेक्स से आंका जाता है.