नई दिल्ली : राहुल गांधी के री-ट्वीट पर न्यूज एजेंसी एएनआई लगातार विवादों में फंसती नजर आ रही है. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के मुताबिक वो राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए एएनआई के खिलाफ कोर्ट में जा सकते हैं. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि ANI एजेंडा जर्नलिज्म में जुटा है. कांग्रेस पार्टी मानती है कि राहुल गांधी के रीट्वीट साजिशन किए गए. कोई भी किसी के अकाउंट को रीट्वीट कर सकता है. और जो तस्वीरें एएनआई ने छापी हैं वो साजिश के तहत फर्जी रीट्वीट करके बनाई गई हो सकती हैं.
हाल में एएनआई ने एक रिपोर्ट जारी कर आशंका जताई थी कि राहुल के ट्वीट्स के इतने ज्यादा रिट्वीट् ‘बॉट्स’ के कारण हो सकते हैं. बॉट्स, ऐसे कम्प्यूटर अप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर हैं जो ऑटोमैटिक ढंग से बताए गए टास्क को पूरा करते हैं. राहुल रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके कई ट्वीट्स कजाकिस्तान, रूस और इंडोनेशिया के लोकेशन से रिट्वीट हुए हैं.
इस बात को लेकर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा था उन्होने ट्वीट करके कहा था कि लगता है राहुल गांदी कजाकस्तान और इंडोनेशिया में चुनाव लड़ना चाहते हैं.कांग्रेस को लगता है कि ये रीट्वीट साजिशन बीजेपी की मीडिया सेल ने करवाए और एएनआई के ज़रिए खबर प्लांट करवाई. इसके एक घंटे के अंदर ही स्मृति ईरानी ने इस खबर को रीट्वीट कर दिया.
उधर दूसरी तरफ सोशल मीडिया एक्सपर्ट एक और थ्योरी दे रहे हैं. एएनआई की खबर में दिखाए गए ज्यादातर रीट्वीट डोनाल्ड ट्रंप के एक ट्वीट के रीट्वीट हैं. यानी कि हो सकता है कि डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया मैनेजर्स ने राहुल के ट्वीट्स को रीट्वीट करवाया हो.
हाल ही में एएनआई ने रोहिंग्या मुस्लिमों के मामले में एक गलत खबर प्रकाशित की थी जिसके लिए बाद में उसने माफी मांगी. एजेंसी ने 12 अक्टूलबर को एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमे कहा गया था कि नागालैंड पुलिस की खुफिया शाखा ने रोहिंग्या शरणार्थियों के संभावित हमले को लेकर चेतावनी जारी की है.
साथ ही स्टोीरी में दावा किया गया था कि दीमापुर के इमाम ने नागालैंड के लोगों पर हमला करने के लिए बांग्लादेश से हथियारों और गोला-बारूद लाने के लिए रोहिंग्या विद्रोहियों से संपर्क किया.
हालांकि इस खबर का कोई स्त्रोत न होने के कारण ‘खुफिया स्रोतों’ का हवाला दिया गया था, लेकिन खबर के फर्जी होने की पुष्टि होने पर एजेंसी को इसे हटाना पड़ा. एजेंसी की एडिटर स्मि ता प्रकाश ने इस सबंध में ट्विटर पर माफ़ी भी मांगी.
उन्होने ट्वीट कर खेद जताया और बताया कि इस स्टोइरी को आगे बढ़ाने वाले कॉपी एडिटर को एजेंसी से हटा दिया गया है. इस खबर के गलत होने के बारें में एजेंसी को अंग्रेजी अखबार ‘द मोरंग एक्ससप्रेस’ (The Morung Express) ने जानकारी दी थी.
बहरहाल इस मामले पर विवाद रोचक मोड़ पर पहुंच गया है. ये पक्का है कि रीट्वीट कहांसे और किसने किए ये पता लगाना आसान नहीं है इसलिए दोनों ही पक्ष ये साबित नहीं कर पाएंगे कि राहुल के फर्जी ट्वीट खुद कांग्रेस ने करवाए. या बीजेपी ने साजिश के तहत ऐसा किया.