ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार किसी नये विवाद में न घिरो. हाल में सरकार ने प्रदेशवासियों को बाढ़ राहत की पहली किस्त बांटी. राहत में पीड़ितों को गेहूं की जो बोरियां दी गई थीं, उनमें भारी मात्रा में मिट्टी थी. करीब 70 फीसदी मामलों में बाढ़ पीड़ितों को दी गई 50 किलो गेहूं की बोरियों में 20 किलो को करीब मिट्टी मिली हुई पायी गयी
जिन लोगो को गेंहू मिले है उन काआरोप है कि गेंहू की मात्रा कम करने के लिए व गेंहू की बोरी का वजन बढ़ाने के लिए सरकार और प्रशासन के लोगो की मिलीभगत से ये किया जा रहा है.
पहले तो अफसरों ने शिकायतों की अनदेखी की जब मांला मीडिया की जानकारी में आया तो. कलेक्टर निशांत वरवड़े ने मान लिया कि गेहूं में मिट्टी मिली थी. उन्होंने मामले की जांच के आदेश के साथ ही आनन-फानन में पीड़ितों से गेहूं को वापस लेकर दूसरा गेहूं देने के आदेश जारी कर दिए.
दरअसल, भोपाल में पिछले सप्ताह भारी बारिश की वजह से हजारों लोग प्रभावित हुए थे. पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित किए जाने की पहली कड़ी में अफसरों ने करीब 100 लोगों को 50-50 किलो गेहूं और पांच लीटर केरोसिन दिया था. इनें से 70 लोगों के गेहूं में मिट्टी भरी थी.