नयी दिल्ली : सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान के हाथ लगे भारतीय सैनिक तीन महीने जेल की सजा की सिफारिश की गयी है. चंदू चव्हाण को पाकिस्तान ने जनवरी में भारत को सौंप दिया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना की अदालत ने चंदू बाबूलाल चव्हाण को तीन महीने कैद की सजा सुनाई है लेकिन सजा की अवधि को उचित अधिकारियों की मंजूरी मिलना अभी बाकी है.
सिपाही चंदू बाबूलाल चव्हाण के मामले की सुनवाई जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा की गई. चव्हाण सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं. उनकी तैनाती 37 राष्ट्रीय राइफल्स में थी.
क्या था पूरा मामला ?
दरअसल, उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने 29 सितंबर को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटो के बाद ही 22 साल के चंदू गलती से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार कर गए थे जहां पाक सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया था.
21 जनवरी को हुई थी रिहाई
पाकिस्तान के अधिकारियों ने इसी साल 21 जनवरी को उन्हें भारत में सौंप दिया था. रिहाई के बाद चव्हाण ने अपने परिवार से कहा था कि ‘उन्हें चार महीने की कैद की सजा के दौरान प्रताड़ित किया गया. नियमित रूप से उनके शरीर में ड्रग्स इंजेक्ट किया जाता था.’
उनके भाई भूषण, जो गुजरात के जामनगर में तैनात एक सेना के जवान हैं, ने दावा किया था कि उनके भाई की शरीर पर कई चोटें, दाहिने हाथ की उंगलियों पर काफी जख्म थे.