बाबा रामदेव के ‘भारत स्वाभिमान अभियान’ के राष्ट्रीय सचिव रहे राजीव दीक्षित के करीबी सहयोगी योगेश कुमार मिश्र ने बाबा रामदेव को एक कानूनी नोटिस भेजा है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मिश्र का आरोप है कि पतंजलि के उत्पादों के बारे में बाबा रामदेव के दावे झूठे हैं. सत्याग्रह की योगेश मिश्र से ये बातचीत::
आपने बाबा रामदेव को कानूनी नोटिस भेजा है. यह किस सन्दर्भ में है?
बाबा रामदेव झूठे विज्ञापन कर रहे हैं. वे दावा करते हैं कि उन्होंने कर्नाटक और महाराष्ट्र में एक चेन स्थापित की है जहां से उन्हें भारतीय गोवंश का दूध मिलता है और इससे वे प्रतिदिन एक लाख लीटर देसी घी बना रहे हैं. उनका यह दावा इसलिए झूठा है क्योंकि भारतीय नस्ल के गौवंश की संख्या लगातार घट रही है. ऐसे में उन्हें प्रतिदिन एक लाख लीटर घी बनाने के लिए दूध कहां से मिल रहा है? वे निश्चित ही विदेशी गोवंश के दूध से घी बना रहे हैं. हम काफी समय से उनसे मांग कर रहे हैं कि वे या तो इस बात को स्वीकार करें या फिर साबित करें कि पतंजलि के घी में सिर्फ भारतीय गोवंश के दूध का ही इस्तेमाल हो रहा है. वे हमेशा इस सवाल से बचते रहे हैं. इसीलिए बीती 29 नवम्बर को मैंने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है.
क्या बाबा रामदेव ने कभी यह दावा किया है कि वे सिर्फ भारतीय गोवंश के दूध से ही घी बना रहे हैं?
हां. इससे सम्बंधित एक विडियो भी पतंजलि द्वारा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाया जाता है. यह आज भी इंटरनेट पर देखा जा सकता है. इसमें बाबा रामदेव कह रहे हैं कि जो घी वे बनाते हैं उसमें ‘स्वर्ण गुण’ है. ‘स्वर्ण गुण’ सिर्फ भारतीय नस्ल के गोवंश में ही होता है. इसके अलावा पतंजलि के घी के डिब्बे पर भी भारतीय गोवंश की ही तस्वीर बनी है. और विदेशी गोवंश को तो बाबा रामदेव ‘विषाक्त गोवंश’ कहते आए हैं. अब यही हम उनसे पूछ रहे हैं कि क्या वे स्वयं ‘विषाक्त गोवंश’ के दूध से बना घी तो नहीं बेच रहे.
आपकी वेबसाइट पर ‘आजादी बचाओ आन्दोलन’ और स्वर्गीय राजीव दीक्षित का भी जिक्र है. क्या आप उनसे जुड़े रहे हैं?
हां, ‘आज़ादी बचाओ आंदोलन’ में राजीव जी और मैंने कई साल तक साथ-साथ काम किया है. राजीव जी के व्याख्यानों में भारत की आज़ादी और अंग्रेजी कानूनों से सम्बंधित जो बातें होती थी, वे मुख्यतः मेरा ही शोध हैं. मैं राजीव जी के साथ उनके अंत समय तक जुड़ा रहा.
राजीव दीक्षित तो स्वदेशी आन्दोलन में बाबा रामदेव के साथ ही काम करते थे. बाबा रामदेव के ‘भारत स्वाभिमान अभियान’ के राष्ट्रीय सचिव भी राजीव दीक्षित ही थे. लेकिन राजीव जी की मृत्यु के बाद उनसे जुड़े लोग बाबा रामदेव के खिलाफ क्यों नज़र आते हैं?
राजीव जी ने अपनी पूरी जिंदगी जिन उद्देश्यों के लिए काम किया, आज बाबा रामदेव उन सभी उद्देश्यों से मुकर चुके हैं. राजीव जी की स्वदेशी की अवधारणा यह थी कि हर गांव में छोटे-छोटे उद्योग लगें, उनमें स्वदेशी उत्पाद बनें और देश के करोड़ों लोगों को रोजगार भी मिले. लेकिन बाबा रामदेव ने तो स्वदेशी के नाम पर अपनी ही बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां खड़ी कर लीं. भारत स्वाभिमान में राजीव जी के रहते सिर्फ दो साल में 110 करोड़ रु जमा हुए थे. आज न तो उस पैसे का कोई हिसाब है और न ही भारत स्वाभिमान पर अब कोई काम हो रहा है.
आप लोगों ने कभी बाबा रामदेव से इस पैसे का हिसाब नहीं मांगा?
कई बार मांगा. बाबा रामदेव ने कह दिया कि पैसा आंदोलनों में खर्च हो गया. न जाने वे किन आंदोलनों की बात कह रहे हैं. हम लोगों ने यह पैसा इसलिए दिया था ताकि गांव-गांव में गुरुकुल खुल सकें. आज गांव-गांव में बाबा रामदेव की दुकानें तो खुल गई हैं लेकिन गुरुकुल कहीं नहीं खुले. बाबा को दुकानें खोलने के लिए यह पैसा नहीं दिया गया था. लेकिन ऐसे सवाल करने वालों से वे मिलते ही नहीं. आज वे अपने व्यापार में व्यस्त हैं. अब तो कालेधन का मुद्दा तक उन्होंने भुला दिया है.
आपके कानूनी नोटिस के बाद बाबा रामदेव का अब तक कोई जवाब आया? या पतंजलि की ओर से किसी ने आपसे संपर्क करने की कोशिश की?
नहीं. अभी तो नोटिस भेजे हुए एक सप्ताह ही हुआ है. जवाब देने के लिए उनके पास एक महीने का समय है. पतंजलि की ओर से मुझसे किसी ने अब तक संपर्क भी नहीं किया है. मैं चाहता भी नहीं कि वे लोग कोई संपर्क करें. मैंने उन्हें लिखित में नोटिस भेजा है, वे उसका लिखित ही जवाब दे दें. नहीं तो एक महीने बाद न्यायालय को ही अपना जवाब दें.
Courtsey: satyagrah