दलित अत्याचार धीरे धीरे बीजेपी के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. यहां मुख्यमंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी के 50 दलित परिवारों ने इच्छामृत्यु की मांगी है। पीड़ितों को 2002 में ज़मीन दी गई थी , लेकिन 2016 तक सरकार ने कब्जा नहीं दिलाया
राष्ट्रीय दलित चेतना मंच के प्रदेश सचिव जसवंत सिंह ने अनेक हस्ताक्षरों का ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया है। ज्ञापन में कहा गया है की ग्राम बोरखेडी, वासुदेव, सोहनखेडी, जोगला के कई लोगों को 15 साल पहले 2002 में जमीन दी गई थी, किन्तु कब्जा आज तक नहीं मिला। गांव के दबंगों द्वारा इन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा है। उन्हें धरना, प्रदर्शन के बाद भी न्याय नहीं मिल पा रहा है। वो भूखे मरने की स्थिति में आ गए है। उनके पास जीवनयापन करने का कोई साधन नहीं बचा है। इस कारण 50 दलित परिवारों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से इच्छामृत्यु मांगी है।
यह मांग रहे हैं इच्छामृत्यु
जो ग्रामीण इच्छामृत्यु मांग रहे हैं, उनमें ग्राम बोरखेडी, वासुदेव, सोहनखेडी, जोगला के रामप्रसाद, सुखिया बाई, अर्जुनसिंह, शोभा बाई, अलम सिंह, कमलाबाई, रूघनाथ, जयंति बाई, कमला बाई, अनोखीलाल, फूलवती, रामेश्वर, ललताबाई, वसुबाई, रमेश बगैरह शामिल है।
सीएम का निर्वाचन क्षेत्र है बुधनी
सीहोर जिले में सालों से ऐसे मामले सामने आते रहे है की दलितों को पट्टा तो मिल गया, मगर उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाता। लेकिन, इस बार मामला अपने आप में गंभीर है, क्योंकि पूरा मामला कहीं और से नहीं बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले के बुधनी क्षेत्र से सामने आ रहा है।
राष्ट्रीय दलित चेतना मंच द्वारा दिया गया थाना प्रभारी निरंजन शर्मा का कहना है कि, पूर्व में ही नसरूल्लांगज थाने में एफआई दर्ज है, मामला माननीय न्यायालय में है। उन्होंने कहा कि जमीन पर कब्जे को लेकर कुछ मामला है, जिसमें दूसरे पक्ष ने भी अपील की है.