नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में बीजेपी को जितने वोट मिले हैं उतने अगर विधानसभा में मिले होते तो अखिलेश यादव की सरकार बनी होती. पार्टी के थोड़े बहुत नहीं पूरे 13 फीसदी वोट सिर्फ 9 महीने में कम हो गए है. ये कोई और नहीं चुनाव का डेटा कह रहा है. यानी जिसे बीजेपी जीत मान रही है वो उसकी तगड़ी हार है. कुछ ही महीनों पहले विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को 43 प्रतिशत वोट मिले थे, जो अब घट कर 30 फीसदी के नीचे आ गए हैं.
मतलब साफ है कि बीजेपी को यूपी चुनाव में मेयर की सीटें तो मिलीं लेकिन पार्टी का जनाधार खतरनाक स्तर तक गिर गया. हालात ये कि बीजेपी कई जगह अपने गढ़ में भी चुनाव हार गई. प्रधानमंत्री के अपने चुनाव क्षेत्र बनारस में मेयर तो बीजेपी जीती, लेकिन दो नगर पालिका- गंगापुर और रामनगर में पार्टी हार गई. बनारस नगर निगम में 90 पार्षदों के चुनाव में भी बीजेपी 56 सीटें हारी और सिर्फ 36 सीटों पर जीत हासिल कर सकी. खुद गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के इलाके में पार्टी को हार मिली. जिस इलाके में योगी आदित्यनाथ का वोट है वहां भी पार्टी को हार मिली.
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि जिस वार्ड में केशव का घर पड़ता है वहां भी बीजेपी की हार हुई है.
सीटों का हिसाब भी बीजेपी के पक्ष में नहीं..
(11992/11995).
Independents-7510
BJP-2182
SP-1132
BSP-627
Congress-394
RLD-49
AAP-39
AIMIM-25
AIFB-15
CPI-7
RJD-6
Shiv Sena-4
NCP-1
CPI(M)-1
रामगोपाल यादव ने उठाए सवाल
रामगोपाल ने मंगलवार को दिल्ली में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्थानीय निकाय चुनाव के बाद जीत का बिगुल बजा रही बीजेपी के दावों की हवा निकालने के लिए कई सवाल उठाए. रामगोपाल ने कहा कि भले ही बीजेपी 16 में से 14 जगहों पर मेयर का चुनाव जीत गई हो, लेकिन नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के 198 पदों में से बीजेपी 130 जगहों पर चुनाव हार गई और सिर्फ 68 जगहों पर जीत पाई.
नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन
इसी तरह नगर पंचायत अध्यक्ष के 438 पदों पर हुए चुनाव में बीजेपी 338 सीटों पर हार गई और सिर्फ 100 सीटें जीत पाई. नगर पालिका परिषद के सदस्यों के लिए 5261 पदों पर चुनाव हुए जिनमें बीजेपी 4347 पदों पर हार गई और सिर्फ 914 जगहों पर जीत पाई.