नई दिल्ली : आम्रपाली के खरीदारों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. हाल ही मैं घर का इंतज़ार करते करते आर्थिक अभाव में एक खरीदार अपना इलाज नहीं करवा सका था और उसकी मौत हो गई. अब एक और केस आया है. द्वारका के शोभित मल्होत्रा को ब्लड कैंसर है. उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी बिल्डर को दे रखी है और इलाज के लिए पैसे नहीं हैं.
दरअसल शोभित ने साल 2014 में नोएडा एक्सटेंशन में आम्रपाली के रिवरव्यू प्रोजेक्ट में घर बुक किया था. बिल्डर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि 2017 तक उन्हें घर मिल जाएगा लेकिन उनका ये सपना सपना ही रह गया, लेकिन इसी बीच शोभित को ब्लड कैंसर हो गया. शोभित को डेढ़ महीने पहले ही इस बीमारी के बारे में पता चला है, अब शोभित को समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करें. शोभित द्वारका के सेक्टर-17 में किराये के मकान में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं. इलाज के लिए वो पैसे वापस चाहते हैं लेकिन कोई रास्ता नहीं.
अब परेशानी यह है कि शोभित को समझ नहीं आ रहा कि वो घर का किराया दें या बैंक की ईएमआई दें. इसके साथ उन्हें अब ये भयंकर बीमारी हो गई जिसका खर्च उन्हें अलग से उठाना पड़ रहा है. उनका खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है. शोभित लगातार बिल्डर को ढूंढ रहे हैं ताकि वो बिल्डर को दिए गए अपने साढ़े 15 लाख रुपये वापस लेकर अपना इलाज करा सकें.
पिछले दिनो योगेश नाम के एक होम बायर को भई भी कैंसर हुआ था. वो भी किराये के घर में रहते थे. बैंक की ईएमआई, घर का किराया और अपने इलाज का खर्च वो नहीं उठा पाए जिससे 22 नवंबर को नोएडा के सेक्टर 11 में उनकी मौत हो गई थी. शोभित का कहना है कि वो जल्द से जल्द बिल्डर को दिए हुए अपने पैसे वापस चाहते हैं ताकि वो ब्लड कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से बच सकें.
आम्रपाली को लेकर जहां इस तरह के शरीफ लोग घुट घुट कर मर रहे हैं वहीं बैंकों की हालत भी खराब हो चली है. बड़ी संख्या में खरीदार बैंकों को नोटिस भेजकर किश्तें देना बंद कर चुके हैं. इन लोगों ने बैंक को लिखा है कि वो रहन रखा गया घर बेचकर अपना कर्ज वसूल करलें. वो आगे ईएमआई देने की हालत में नहीं है. घर अभी बने नहीं हैं इसलिए बेचे नहीं जा सकते.
बैंकों ने भी करप्शन के कारण प्रोजेक्ट का चरण पूरा होने से पहले ही बिल्डर को धन रिलीज कर दिया था इसलिए वो भी दोनों तरफ से फंस गए है.