बीजेपी को अब भी सता रहा है गुजरात में हार का डर, पार्टी के सर्वे में है ये कड़वा सच

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक्जिट पोल आने के साथ ही जश्न शरू हो गए हैं. बीजेपी के समर्थक जोश में हैं लेकिन क्या आप जानते हैं की खुद भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है. पार्टी नहीं चाहती कि नतीजे आने से पहले जश्न मनाकर बाद में ऊंच नीच होने पर भद्द पिटे. पार्टी के पास अपना फीड बैक का सिस्टम है और उसके पास कई दूसरे स्रोत भी हैं जिनके ज़रिए वो ज़मीनी सच्चाई का आकलन करती रहती है. सूत्रों की मानें तो पार्टी का अपना आकलन न्यूज़ चैनल्स से एकदम उलट है.

इस आकलन में सबसे अहम भूमिका है पार्टी के इंटरनल सर्वे, आईबी रिपोर्ट और सट्टा बाज़ार के रिस्पांस की. इसके अलावा बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट को भी पार्टी अपने असेसमेंट का हिस्सा बनाती है. ये सभी माध्यम पार्टी के हालात को जश्न मनाने वाला नहीं मान रहे.

अगर इंटरनल सर्वे की बात करें तो पार्टी को गुजरात में 100 (+ – 11) सीटें मिलने का अनुमान है. पार्टी सूत्र कहते हैं कि इस स्थिति में 1 फीसदी वोटों का हिसाब किताब इधर उधर होने पर भी कांग्रेस जीत जाएगी.

आईबी रिपोर्ट भी पार्टी की यही बल्कि इससे बुरी स्थिति बता रही है. ठीक ठीक आंकड़ा तो उपलब्ध नही है लेकिन इस रिपोर्ट में पार्टी के लिए 90 सीटें जीतना भी मुश्किल दिख रहा है.

सट्टा बाज़ार में पार्टी की स्थिति थोड़ी बेहतर है और उसकी वजह एक्जिट पोल भी हैं. उसके बावजूद कांग्रेस की जीत पर पैसा लगाने वालों की अच्छी खासी तादाद है.  गुजरात के सट्टा बाजार में अभी दोनों पार्टियों के लिए 35/45 का दाम चल रहा है. जिसमें बीजेपी को 100 से 103 सीट दी गई हैं, जबकि कांग्रेस को 78 से 100 सीट मिलने का अनुमान सट्टा बाजार ने लगाया है. यानी दूसरी सूरत में कांग्रेस की सरकार बनने के हालात हैं.

बीजेपी अगर 103+ सीटें जीतेगी तो एक लाख रुपये पर 35 हजार देने होंगे, जबकि बीजेपी के 100 या उससे कम सीटें जीतने पर पूरी रकम (एक लाख रुपये) चले जाएंगे. वहीं कांग्रेस का दाम फिलहाल 76 से 78 चल रहा है. ऐसे में कांग्रेस अगर 78 या उससे ज्यादा सीटें जीतेगी तो एक लाख पर 35 हजार मिलेंगे.

गुरुवार को एक्जिट पोल होने से पहले सट्टा बाज़ार का दाम 92-94 बीजेपी के लिए चल रहा था, जबकि कांग्रेस का दाम 90-92 के आस-पास चल रहा था.

पार्टी का इंटरनल  फीडबैक और कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट बताती है कि मोदी, हार्दिक पटेल, राहुल गांधी औह जिग्नेश अल्पेश जैसे बड़े योद्धाओं के साथ साथ विधायकों का अपना परफॉरमेंस भी वोटिंग में अहम मुद्दा बना है. पार्टी के पुराने विधायक बड़े आदमी बन चुके हैं और जनता तो छोड़ कार्यकर्ताओं को भी उन्होंने घास नहीं डाली ऐसे में करीब 30 विधायक ऐसे हैं जिनकी नैया अगर मोदी ने पार लगा दी तो लगा दी वरना उनकी हार पक्की है. यानी स्थानीय फैक्टर नज़रअंदाज़ नहीं किए जा सकते.

उधर गुजरात के वायदा कारोबारियों के एग्जिट पोल में बीजेपी को 115 से 125 सीटें मिलने का दावा किया जा रहा है. लेकिन कारोबारियों को यह भी लगता है कि हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकुर की वजह से भाजपा को गुजरात में राजनीतिक नुकसान जरूर हुआ है. ऐसे में राजनीतिक गलियारे से लेकर सट्टा बाजार तक पूरे देश की निगाहें 18 दिसंबर को आने वाले चुनाव के असली नतीजों पर टिकी हुईं हैं

जो भी हो बीजेपी के लिए जीत उतनी आसान नहीं है जितनी एक्जिट पोल दिखा रहे हैं. हालात ये हैं कि अगर  नतीजे अगर बीजेपी के पक्ष में ज्यादा बड़े आते हैं तो खुद कर्यकर्ता ईवीएम गड़बड़ी की बात पर भरोसा करने लगेगा.