नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के तीनों लोकसभा उम्मीदवार का नाम पहले तय कर लिया था और जनता को गुमराह करती रही कि पीएसी मेंबर नाम तय करेंगे. हाल ही में सामने आए कुछ दस्तावेज़ों से पार्टी के इस ड्रामे की पोल खुली है. जो दस्तावेज सामने आए हैं वो कहते हैं कि तीनों उम्मीदवारों ने पीएसी की बैठक के पहले ही नामांकन भरने की तैयारी कर ली थी. और फेसला लेने का सिर्फ ड्रामा किया गया.
- दस्तावेज नंबर एक कहता है कि संजय सिंह द्वारा नामांकन के दौरान जमा किए गए हलफ़नामे का स्टांप 30 दिसंबर की दोपहर 12 बजकर 3 मिनट पर ही खरीद लिया गया था.
- दस्तावेज नंबर दो कहता है. सुशील गुप्ता द्वारा नामांकन के लिए दाखिल किए गए हलफ़नामे का स्टांप पेपर 1 जनवरी की दोपहर 3 बजकर 21 मिनट ही खरीद लिया गया था.
- दस्तावेज नंबर तीन यानी नारायण दत्त गुप्ता का हलफनामा सर्टिफिकेट 3 जनवरी को 1 बजकर 48 मिनट पर तैयार हुआ जो पॉलिटकल अफ़ेयर कमिटी की बैठक के कुछ देर बाद का ही वक़्त है. यानी नारायण दत्त गुप्ता का नाम उनके बेटे की जगह अंतिम वक्त पर तय किया गया.
इतना ही नहीं नारायण दास गुप्ता ‘नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट’ के ट्रस्टी
पद से कुछ ही समय पहले 29 दिसंबर को इस्तीफा दिया. यानी नारायण दास गुप्ता को पता था कि वो राज्यसभा के लिए चुने जा सकते हैं.
आपको बता दें कि 3 जनवरी को ही पॉलिटिकल अफ़ेयर कमिटी की बैठक के बाद मनीष सिसोदिया ने मुख्यमंत्री आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि राज्यसभा के लिए आम आदमी पार्टी ने 18 बड़े नामों पर विचार और उनसे संपर्क किया था, लेकिन सभी ने राज्य सभा जाने से इनकार कर दिया. फिलहाल इस फैसले से पार्टी के भीतर विवाद खड़ा हो गया है, कुमार विश्वास एक बार फिर नाराज़ हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अरविंद केजरीवाल अबतक उन्हें मनाने के लिए ख़ुद सामने नही आये हैं. अब सवाल पूछा ज रहा है कि जब सब कुछ पहले से ही तय था तो नाटक क्यों ?