विदेशी कंपनियां भारतीय कारोबार पर कर सकेंगी कब्ज़ा, सरकार ने कई अहम सैक्टर विदेशी चरणों में डाले

नई दिल्ली : सरकार ने कंस्ट्रक्शन बिजनेस में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब होगा कि बड़ी भारतीय कंस्ट्रक्शन कंपनियों की जगह अब पुल, सड़क और दूसरे बड़े निर्माण के कारोबार में विदेशी कंपनियों को ठेके मिल सकेंगे. इसका सबसे बड़ा खतरा बड़ी कंपनियां एलएंडटी और एल्सट्रॉम बगैरह का कारोबार विदेशी कंपनियां ले जाएंगी. कुछ लोग मान रहे हैं कि इससे से रिटल स्टेट सैक्टर को राहत मिलेगी.

इसके साथ ही सिंगल ब्रांड रिटेल में भी 100 फीसदी एफडीआई को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. फिलहाल सिंगल ब्रांड रिटेल में सिर्फ 49 फीसदी तक एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से मंजूरी थी. एफडीआई वाले सिंगल ब्रांड रिटेल स्टोर के लिए घरेलू सामान खरीदने की शर्तों में ढील दी गई है. अब पहले साल से ही 30 फीसदी लोकल सोर्सिंग की जरूरत नहीं होगी. पहले 5 साल में अलग-अलग चरणों लोकल सोर्सिंग बढ़ानी होगी. 5 साल पूरा होने पर 30 फीसदी लोकल सोर्सिंग जरूरी होगी. इसका नतीजा विदेशी कंपनियों के सिंगल ब्रांड शोरूम के रूप में देखने को मिलेगा. रीबॉक, एप्पल और एचपी जैसी कंपनियां भारत में अपने स्टोर बिना पार्टनर के खोल सकेंगी यानी फ्रेंचायजी अवसरों में कमी आएगी.

वहीं एयर इंडिया में भी 49 फीसदी तक विदेशी निवेश को अप्रूवल रूट से मंजूरी दी गई है. एयर इंडिया में 49 फीसदी तक विदेशी निवेश के बावजूद मैनेजमेंट कंट्रोल भारतीय के हाथ में होना जरूरी होगा.

साथ ही रियल एस्टेट ब्रोकिंग सर्विस में 100 फीसदी विदेशी निवेश ऑटोमैटिक रूट से लाने को मंजूरी दी गई है. इसका मतलब है कि भारत में प्रॉपर्टी डीलरों की जगह विदेशी कंपनियां ले लेंगी. इसके साथ एक बात और कही गई है वो ये कि . रियल एस्टेट ब्रोकिंग सर्विस को रियल एस्टेट कारोबार का हिस्सा नहीं माना जाएगा. यानी बिल्डरों को इससे राहत की उम्मीद नहीं है

इसके अलावा एफआईआई या एफपीआई को भी प्राइमरी मार्केट के जरिये पावर एक्सचेंज में 49 फीसदी तक निवेश की छूट दी गई है. ऑटोमैटिक रूट वाले सेक्टर में गैर नकदी सामान खरीदने के एवज में शेयर जारी करने की छूट दी गई है. मसलन मशीन इंपोर्ट के एवज में शेयर जारी करने की छूट ऑोटोमैटिक रूट से दी गई है