बीस विधायकों की सदस्यता रद्द होने पर ये था आप का बयान, जनता से सीधे की बात

नई दिल्ली : लगता है आम आदमी पार्टी को अदालत से ज्यादा उम्मीद नहीं बची है. यही वजह है कि अब इस मुद्दे पार्टी जनता से सीधे संवाद करने की तैयारी कर रहे हैं. आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने जनता के नाम एक भावुक पत्र लिखा. इस खुले पत्र को सोशल मीडिया पर साझा किया गया है. सिसोदिया ने लिखा है कि उनका मन दुखी है लेकिन वह निराश नहीं है क्यों क्यों नहीं दिल्ली वालों पर पूरा भरोसा है.

इस खत में उन्होंने पार्टी द्वारा बार-बार कही जा रही उस बात का जिक्र किया है कि चुनाव आयोग ने जून 2017 में अपने फैसले में पार्टी के विधायकों को अगली तारीख पर सुनवाई करने के लिए कहा लेकिन सुनवाई दोबारा नहीं हुई और उन्हें बिना सुनवाई के अयोग्य करार दे दिया गया. सिसोदिया ने यह भी कहा है कि दिल्ली में उनकी सरकार जो काम कर रही है उससे केंद्र की बीजेपी सरकार परेशान है और इसलिए उन्होंने विधायकों को अयोग्य करवा दिया. दिल्ली वालों के नाम लिखे गए खुले खाते मनीष सिसोदिया ने पूछा है कि 20 सीटों पर उपचुनाव के चलते दिल्ली में अगले 2 साल तक होने वाले सभी काम रुक जाएंगे ऐसे में विधायकों को अयोग्य करार देकर चुनाव करवाना कहां तक सही है. पढ़िए आखिर क्या लिखा है दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जनता के नाम लिखे अपने खुले खत में.

“मेरे प्यारे दिल्लीवासी,

आज इस खुले पत्र के माध्यम से मैं आपसे सीधे बात करना चाहता हूँ. मन दुःखी है. पर निराश नहीं हूँ. क्यूँकि मुझे आप पर भरोसा है. दिल्ली के और देश के लोग मेरी आशा हैं.

तीन साल पहले आपने 70 में से 67 विधायक चुनकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनायी थी. आज इन्होंने आपके 20 विधायकों को बर्खास्त कर दिया. इनका कहना है की ये 20 विधायक “लाभ के पद” पर थे.

हमने इन 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था और इन्हें अलग अलग जिम्मेदारियाँ दी थी. जैसे एक विधायक को सरकारी स्कूलों की ज़िम्मेदारी दी. वो रोज़ सरकारी स्कूलों में जाता था, देखता था कि टीचर आए हैं, सब कुछ ठीक चल रहा है. जहाँ ज़रूरत होती थी वहाँ ऐक्शन लेता था. इसी तरह एक विधायक को सरकारी अस्पतालों की ज़िम्मेदारी दी, एक विधायक को मोहल्ला क्लीनिक की ज़िम्मेदारी दी. इस तरह 20 विधायकों को हमने अलग अलग जिम्मेदारियाँ दी. बदले में इन विधायकों को कोई सरकारी गाड़ी नहीं दी, कोई बंगला नहीं दिया, एक नया पैसा तनख़्वाह नहीं दी. कुछ भी नहीं दिया. ये सभी विधायक अपने ख़ुद के पैसे ख़र्च करके काम करते थे क्योंकि ये सब आंदोलन से आए थे और देश के लिए काम करने का जुनून था.

जब इनको कुछ नहीं दिया तो ये “लाभ का पद” कैसे हो गया? आपके इन विधायकों ने चुनाव आयोग को कहा कि इन्हें अपनी बात कहने का मौक़ा दिया जाए. ये साबित कर देंगे कि इन्होंने कोई लाभ नहीं लिया. चुनाव आयोग ने इन्हें 23 जून को पत्र लिखकर कहा कि इन्हें सुनवाई के लिए तारीख़ दी जाएगी. उसके बाद इन्हें सुनवाई की कोई तारीख़ नहीं दी गयी और सीधे केंद्र सरकार ने आपके इन 20 विधायकों को बर्खास्त कर दिया, बिना सुनवाई किए, बिना इनके सबूत और गवाह देखे.

ये तो केंद्र सरकार जनता के साथ घोर अन्याय कर रही है. आपके द्वारा चुने हुए 20 विधायकों को बिना सुनवाई के मनमाने ढंग से बर्खास्त कर दिया?

केंद्र सरकार ऐसा पहली बार नहीं कर रही. पिछले तीन सालों में उन्होंने आपके द्वारा चुनी हुई दिल्ली सरकार को तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. आपके 18 विधायकों के ख़िलाफ़ झूठे मुक़दमे लगा कर गिरफ़्तार किया गया. जब कोर्ट में पेशी हुई तो कोर्ट ने सबको छोड़ दिया. कई मामलों में तो कोर्ट ने केंद्र सरकार को फ़र्ज़ी मुक़दमे लगाने के लिए कड़ी फटकार लगाई. फिर इन्होंने आपके CM अरविंद केजरीवाल पर CBI की रेड करवा दी लेकिन इनको कुछ नहीं मिला. फिर इन्होंने आपके विधायकों को करोड़ों रुपए देकर ख़रीदने की कोशिश की. पर आपके विधायक इतने मज़बूत निकले कि ये लोग आपके एक विधायक को भी नहीं तोड़ पाए. फिर इन्होंने केजरीवाल सरकार की 400 फ़ाइलो की जाँच के आदेश दे दिए. इनको उम्मीद थी कि इन फ़ाइलो में केजरीवाल के ख़िलाफ़ ज़रूर कुछ मिल जाएगा और ये केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लेंगे. 6 महीने तक LG साहब के दफ़्तर में 20 अफ़सर इन फ़ाइलो की जाँच करते रहे पर इनको कुछ नहीं मिला.

सब तरफ़ से हारकर इन्होंने अब आपके 20 विधायकों को बर्खास्त कर दिया. ये लोग आख़िर ये सब क्यों कर रहे हैं? ये लोग हमें इतना तंग क्यों कर रहे हैं? हमारा क़सूर क्या है?

मैं बताता हूँ कि ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं. तीन साल पहले आपने देश की सबसे ईमानदार सरकार चुनी. पिछले तीन सालों में आपकी सरकार ने ढेरों काम किए- दिल्ली में बिजली के दाम देश में सबसे कम कर दिए, तीन साल से दिल्ली में बिजली के दाम बढ़ने नहीं दिए, पानी मुफ़्त कर दिया, 309 कालोनियों में पाइप बिछा कर घर घर तक पानी पहुँचाया, सरकारी स्कूलों का कायापलट किया, प्राइवट स्कूलों से बढ़ी फ़ीस वापिस दिलवाई, मोहल्ला क्लीनिक बनाए, सभी अस्पतालों में दवाई और टेस्ट मुफ़्त कर दिए, बुज़ुर्गों की पेन्शन बढ़ा दी, कई नए फ़्लाइओवर बनाए, कई नई सड़के बनवाई, कई कालोनियों में गली और नालियाँ बनवाई. आपकी ईमानदार सरकार ने इन तीन सालों में और भी ढेरों काम किए.

अब 2 साल बचे हैं. इन दो सालों में और बहुत सारे काम करने हैं. पूरी दिल्ली में CCTV कैमरे लगाने हैं, पूरी दिल्ली में फ़्री Wi Fi देने की योजना बना ली है, सरकारी सेवाओं की डोरस्टेप डिलिवरी की योजना लागू होने जा रही है, हर महीने राशन घर घर तक पहुँचाने का इंतज़ाम कर रहे है, दिल्ली की सारी कच्ची कालोनियों में पानी, सीवर, गली और नाली बनाने का काम शुरू हो गया है. ये सब काम अगले 2 साल में करने हैं.

ये लोग इसी बात से घबरा रहे हैं. जिस तेज़ी से केजरीवाल सरकार काम कर रही है, इन्हें उसी बात से डर लग रहा है. केजरीवाल जी अपने अच्छे कामों की वजह से दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में लोकप्रिय होते जा रहे हैं. ये केजरीवाल सरकार को काम नहीं करने देना चाहते.

भाजपा का अपना ग्राफ़ तेज़ी से गिर रहा है. भाजपा से आज सब ग़ुस्सा हैं- दलित, किसान, व्यापारी, मज़दूर, यूथ, विद्यार्थी, अल्पसंख्यक- सब इनसे नाराज़ हैं. ये लोग केजरीवाल को काम करने से हर हाल में रोकना चाहते हैं.

20 विधायकों को बर्खास्त करके इन्होंने दिल्ली पर चुनाव थोप दिए. अब आचार संहिता लग जाएगी और दिल्ली में सारा सरकारी काम रुक जाएगा. उसके बाद लोक सभा के चुनाव आ जाएँगे. फिर आचार संहिता लग जाएगी और फिर सारा सरकारी काम रुक जाएगा. और उसके बाद विधान सभा के चुनाव आ जाएँगे.

तो इन 20 विधान सभाओं पर चुनाव थोप कर एक तरह से भाजपा ने अगले दो सालों तक दिल्ली में सारा विकास का काम रोक दिया. और इन 20 विधानसभाओं में चुनाव पर फ़िज़ूल में आपका पैसा व्यर्थ होगा.

क्या ये गंदी राजनीति नहीं है? क्या दिल्ली को इस तरह चुनावों में धकेलना ठीक है? क्या दिल्ली के सारे विकास कार्यों को दो साल तक ठप करना सही है? क्या इस तरह ग़ैर संवैधानिक और ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से आपके चुने हुए विधायकों को बर्खास्त करना सही है?

मुझे आपसे ही उम्मीद है. आप ज़रूर इसका सही और असरदार जवाब देंगे.
आपका अपना
मनीष सिसोदिया