नई दिल्ली : माना जा रहा है कि आज दावोस में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सीधे सीधे अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना था. मोदी ने अमेरिका जैसे देशों को बिना लाग लपेट के आत्मकेंद्रित बताया. उन्होने कहा कि कुछ विकसित देश आत्मकेन्द्रित हो रहे हैं ये देश खुद के बारे में सोचते हैं. ये सही नही है. ये भूमंडलीकरण की मूल भावना के खिलाफ है.
माना जा रहा है कि उनके इस भाषण का के निशाने पर सीधे तौर पर ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट नीति थी. उन्होंने कहा कि भारत ऐसा नहीं सोचता हम सदियों से वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करते हैं. भगवान बुद्ध ने शिक्षा दी थी कि ज़रूरत से ज्यादा प्रकृति से कभी नही लेना चाहिए.
मोदी ने कहा कि हम स्वार्थी नहीं हैं भारत ने हमेशा दुनिया का साथ दिया है. हमने प्रथम विश्वयुद्ध में सिर्फ सच का साथ देने के लिए अपने लाखों सैनिक कुर्बान कर दिए. संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में सबसे ज्यादा सैनिक भारत ने दिए हैं.
उन्होंने आत्मकेन्द्रित होने को दुनिया की सबसे बड़ी तीन चुनौतियों में एक बताया. मोदी ने अमेरिका जैसे देशों का नाम लिए बगैर कहा कि, Globalisation के विरुद्ध इस चिंताजनक स्थिति का हल अलगाव में नहीं है. इसका समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है नए-नए प्रकार के टैरिफ बैरियर देखने को मिल रहे हैं द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते रुक से गए हैं.
अमेरिका का नाम लिए बगैर मोदी बोले- ग्लोबलाइजेशन के विपरित सरंक्षणवाद की ताकतें सर उठा रही हैं बहुत से समाज और देश आत्मकेंद्रीत होते जा रहे हैं. ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरित सिकड़ रहा है. वातावरण को बचाने के लिए और क्लाइमेट चेंज का प्रतिकार करने के लिए बड़ा लक्ष्य मेरी सरकार ने देश के सामने रखा है.
कुछ लोग मानते हैं कि मोदी का ये भाषण ट्रंप प्रशासन की वीजा और दूसरे मामलों पर अजीब सी नीति का विरोध है. कुछ लोग चकित भी हैं लेकिन ये पता लगाना मुश्किल है कि मोदी अपने सबसे नज़दीक विश्व नेता के बारे में ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं.