BBC की आंखों से कासगंज का दंगा, सबसे जिम्मेदार रिपोर्टिंग

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के कासगंज में शुक्रवार को भड़की हिंसा पर शनिवार को भी पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका. शनिवार को कई इलाक़ों में पथराव, लूटपाट और आगजनी की ख़बरें आईं.

हालांकि इन घटनाओं में किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है, लेकिन शहर में तनाव बरक़रार है. दूसरी तरफ पुलिस स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में बता रही है.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक घटना को लेकर दो प्राथमिकी दर्ज़ की गई हैं और नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

शुक्रवार को तिरंगा यात्रा निकाले जाने के दौरान हुई हिंसा में मारे गए युवक का शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया और इसी के बाद शहर में एक बार फिर अचानक हिंसा भड़क उठी.

सहावर गेट इलाक़े में क़रीब दो दर्जन दुकानों में लूटपाट करने के बाद आगजनी करने की कोशिश की गई.

इसके अलावा नदरई गेट और बाराद्वारी में कई दुकानों में आग लगा दी गई.

ये दोनों इलाक़े कासगंज नगर कोतवाली से मुश्किल से तीन सौ मीटर की दूरी पर हैं.

ये घटनाएं तब हुईं जबकि पूरे कासगंज शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. हर जगह पुलिस और सुरक्षाबलों की मौजूदगी है. कासगंज शहर के भीतर दाख़िल होने वाले सारे रास्तों को लगभग बंद कर दिया गया है और आने-जाने वालों की तलाशी ली जा रही है.

कासगंज की सड़कों पर पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी गश्त लगा रहे हैं और सड़क पर किसी को भी देखते ही भगा रहे हैं.

लेकिन चौकसी के बावजूद शहर के अंदर तीन बसों को आग के हवाले कर दिया गया जिनमें एक रोडवेज़ बस भी शामिल है.

इसके अलावा कई दोपहिया वाहन भी जला दिए गए. दुकानों और वाहनों में लगी आग घंटों बाद भी बुझाई नहीं जा सकी है.

नदरई गेट पर अलीगढ़ परिक्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजय आनंद भी गश्त कर रहे थे.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब स्थिति बिल्कुल नियंत्रण में है.

ये पूछने पर कि इतने भारी-भरकम पुलिस बल के बावजूद शनिवार को हिंसा दोबारा कैसे भड़क गई, तो उनका जवाब था, “देखिए हर एक व्यक्ति पर तो निगरानी रखी नहीं जा सकती है लेकिन पुलिस और प्रशासन पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं. जो लोग भी हिंसा के लिए दोषी हैं उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी. 39 लोगों को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है और दूसरे लोगों की तलाश की जा रही है.”

एडीजी अजय आनंद के मुताबिक घटना से संबंधित दो एफ़आईआर दर्ज की गई हैं और उन्हीं के आधार पर नौ लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.

हिंसा पर राजनीति

इससे पहले, शुक्रवार रात क़रीब नौ बजे कासगंज शहर में ही मथुरा-बरेली हाइवे पर सफ़ारी सवार एक मुस्लिम परिवार पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया. हमले में गाड़ी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और उसमें सवार एक व्यक्ति की आँख में गंभीर चोटें आई हैं.

इस बीच, मामले को राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश की गई. कासगंज-एटा क्षेत्र के सांसद राजवीर सिंह और इलाक़े के तीन बीजेपी विधायक मृत युवक के अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

इससे पहले साध्वी प्राची भी कासगंज आने की कोशिश कर रही थीं लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी.

कासगंज में शुक्रवार की शाम हिंसा उस वक़्त शुरू हुई जब कुछ युवक तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे और बड्डूनगर इलाक़े में मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों के साथ उनकी झड़पें हुईं.

इन्हीं झड़पों के बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव और आगजनी की घटनाओं के अलावा गोलीबारी भी हुई जिसमें चंदन गुप्ता नाम के एक युवक की मौत हो गई और नौशाद नाम के एक युवक गोली से गंभीर रूप से घायल हो गए जिसे अलीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. (बीबीसी पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट)