कासगंज की तरह जब बीजेपी वाले मुसलिम इलाकों में घुसने लगे, इसके बाद जो हुआ हमेशा याद रखेंगे

नई दिल्ली :  कासगंज की तरह कर्नाटक में भी मुसलमानों के इलाके में बीजेपी और संघ के कार्यकर्ता जुलूस निकालने के लिए घुस रहे थे. लेकिन पुलिस ने यहां सभी कार्यकर्ताओं को बुरी तरह लाठियों से तोड़ा. आखिर उन्हें वापस लौटना पड़ा. आप को बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार नहीं है वहां कांग्रेस के अंडर में पुलिस आती है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पुलिस के इस लाठीचार्ज में 10 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं.

इलाके में बीती 28 जनवरी को कथित तौर पर एक 20 महिला की हत्या कर दी गई थी. प्रदर्शनकारी उसी महिला की हत्या के विरोध में मुस्लिम इलाके से जुलूस निकाल रहे थे. जुलूस की अगवानी स्थानीय सांसद भगवंत खुबा कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने पहले कस्बे के अंबेडकर सर्किल में प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी. लेकिन जब प्रदर्शनकारियों ने डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन दिया और फिर गुटों में बंटकर पुराने बिदर इलाके में जुलूस निकाला तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस के मुताबिक जिले के भालकी तालुक की एक छात्रा को उसके प्रेमी ने द्वारा ठुकराए जाने के बाद हत्या कर दी गई.

हत्या का आरोप प्रेमी और 24 वर्षीय उसके पड़ोसी शमसुद्दीन पर है. शमसुद्दीन ने रविवार (28 जनवरी) को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने डिप्टी कमिशनर को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि जिस महिला की हत्या की गई, उसके घरवालों को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए और मामले की न्यायिक जांच कराई जाए. प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम इलाके से जुलूस निकालने की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.

नेताओं ने माना कि अगर जुलूस निकलता तो चीजें हाथ से निकल सकती थीं. हालांकि डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन देने के बाद लोग तीन गुटों में बंट गए और उनमें से एक ने पुराने इलाके में जाने की कोशिश की. पुलिस ने बताया कि उन्होंने मामले को काबू में लाने के लिए नेताओं को गिरफ्तार किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन पर लाठियां चलाईं. पुलिस के लाठीचार्ज के बाद से इलाके में तनाव बना हुआ है. मुस्लिम इलाके में से बीजेपी और आरएसएस के जुलूस निकालने को लेकर पुलिस इसे काफी संवेदनशील मान रही है और हर स्थिति से निपटने के लिए उसने कमर कस ली है.