नई दिल्ली : सिर्फ जस्टिस लोया ही नहीं अमित शाह मामले में उनके राज़दार दो और लोगों की संदिग्ध हालात में मौत हुई है. राष्ट्रपति को पन्द्रह दलों के सांसदों ने इन मौतों की जांच कराने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है. शुक्रवार को राहुल गांधी के साथ इन सभी पार्टियों के नेता उनसे मिलने पहुंचे थे . उन्होंने जज लोया की मौत की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की.
राष्ट्रपति ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी उन्होंने बताया कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में सांसदों का एक दल राष्ट्रपति भवन आया था.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा, ‘लोकसभा और राज्यसभा के कई सांसद जज लोया की मौत से बेहद अशांत हैं. वे समझते हैं कि मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की जानी चाहिए. एक जज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. इस मामले की उचित तरीके से जांच उनके परिजनों के प्रति सच्ची संवेदना होगी. पंद्रह दलों के 114 सांसदों ने इससे जुड़े ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. जज लोया के साथ ही दो और जजों की संदिग्ध स्थिति में मौत हुई है.
राष्ट्रपति ने इस मामले में सकारात्मक रुख दिखाया.’ राहुल और आजाद के अलावा प्रतिनिधिमंडल में कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, पी. चिदंबरम, सीपीएम के डी. राजा, टीएमसी के इदरिश अली, मनीष गुप्ता, संजय सिंह और बजरुद्दीन अजमल भी शामिल थे.
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां जज लोया की मौत पर पहले ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस में भी इस मुद्दे को उठाया था. बाद में राहुल गांधी ने अलग इसे इस पर मीडिया से बात की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठतम जजों की आपत्ति को बेहद अहम बताया था.
सुप्रीम कोर्ट में जज लोया से जुड़ी याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि वह सिर्फ जज लोया की मौत से जुड़े मामले पर ही सुनवाई करेंगे. शीर्ष अदालत ने इस मामले से जुड़ी अन्य याचिकाओं को भी हाई कोर्ट से अपने यहां मंगा लिया था.
बता दें कि जज लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस मामले से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी जुड़ा था. लोया के निधन के बाद इस मामले को दूसरे जज के पास ट्रांसफर कर दिया गया था. बाद में अमित शाह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था.
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी. इसे संदिग्ध माना गया था. मालूम हो कि मामले को प्रभावित करने के आरोप के बाद सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले को महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था.