पटना: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने बिहार के मुजफ्फरपुर में कहा है कि आरएसएस सेना से भी तेज़ी से युद्ध की तैयारी कर सकती है. उन्होंने कहा कि सेना को तैयार होने में तो 6-7 महीने लगते हैं लेकिन अगर हमारी ज़रूरत पड़ी तो हम तीन दिन में वो काम कर देंगे. उन्होंने कहा कि हम मिलिट्री नहीं है, लेकिन हमारा अनुशासन उनके जैसा ही है.
भागवत ने ये भी कहा कि देश को अगर हमारी जरूरत पड़े और हमारा संविधान और कानून इजाजत दे हम तुरंत तैयार हो जाएंगे.
मोहन भागवत पिछले 6 फरवरी से मुजफ्फरपुर के प्रवास पर हैं. इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि अनुशासन ही हमारी पहचान है.
उन्होंने कहा कि हमारा संगठन मिलिट्री या पैरा मिलिट्री संगठन नहीं हैं, लेकिन हमारा संगठन पारिवारिक है.
मोहन भागवत ने कहा कि उनका संगठन पारिवारिक है लेकिन उसमें अनुशासन बहुत है. इस दौरान भागवत ने बिहार-झारखंड से आए किसानों और अन्य तबके के लोगों से मुलाकात की.
इससे पहले संघ प्रमुख ने पूसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति गोपालजी त्रिवेदी के सुझावों का ज्ञापन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को सौंपते हुए आवश्यक कदम उठाने को कहा. भागवत ने शिविर में मौजूद लोगों को गोपालन का सुझाव दिया. उन्होंने शहरों में गायों के लिए आवासीय हॉस्टल खोलने पर भी जोर दिया. भागवत ने देहाती नस्लों की गायों के संरक्षण पर भी जोर देने की वकालत की.
RJD का गुस्सा
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर आरजेडी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पार्टी के प्रवक्ता ने कहा है कि यह सीधे तौर पर भारतीय सेना का अपमान है, मोहन भागवत को इसके लिए देश की सेना से माफी मांगनी चाहिए.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत जी उसी आरएसएस के मुखिया हैं जिनका देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा. यह तो गोडसे को पूजने वाले लोग हैं. ऐसे में आरएसएस ने सीधे तौर पर भारतीय सेना का अपमान किया और इस बयान से आरएसएस ने देश और दुनिया में भारतीय सेना की ताकत को कम कर दिया.