दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से केजरीवाल को भले ही झटका लगा हो लेकिन इसके साथ की कई लोगों की एक झटके में लॉटरी खुल गई है. अरुण जेटली और शीला दीक्षित की तो परेशानी ही खत्म हो गई. जानिए किसकी कैसे खुली किस्मत…
1. हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार को उनके लिए फैसलों पर ही चलना होगा
2. कोर्ट ने कहा है कि नीतिगत फैसले एलजी को जानकारी दिए बिना जारी नहीं किये जा सकते.
3. आप सरकार से कहा गया है कि बसों के लिए सीएनजी फिटनेस, दिल्ली की क्रिकेट बॉडी डीडीसीए में कथित घोटाला मामले में एलजी से सहमति लिए बिना जांच समिति गठित करना गलत है.
4. केजरीवाल सरकार ने पिछले साल सीएनजी फिटनेस घोटाले में जांच की घोषणा की थी और कहा था कि एलजी और पूर्व मुख्यमंत्री से इस मामले में पूछताछ होना चाहिए.
5. आप का अरोप है कि तीन बार दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित 100 करोड़ रुपये के घोटाले में कर्ताधर्ता थी और एलजी नजीब जंग ने इसकी ‘इजाजत’ दी.
6. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के कथित वित्तीय घोटाले की जांच के आदेश भी दिए थे. वर्ष 2013 तक अरुण जेटली डीडीसीए की अगुवाई कर रहे थे. जेटली ने इस मामले में जेटली पर मानहानि का केस दायर किया है.
7. जब केंद्र के अधीन आने वाली सीबीआई ने दिसंबर में अरविंद केजरीवाल के सहयोगी राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सीएम ऑफिस में छापा मारा तो आप ने आरोप लगाया था कि यह डीडीसीए की फाइल तलाशने की एक चाल थी.
8. आप ने केंद्र के के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को केंद्र सरकार को रिपोर्ट करने वाले अफसरों की जांच करने अथवा उन पर कार्रवाई करने से रोका गया था.
9. कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्र का आदेश न तो अवैध है और न ही इसे नकारा जा सकता है.
10. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि दो रिपोटिंग अथॉरिटी नहीं हो सकतीं. दूसरी ओर, केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि दिल्ली उसके नियंत्रण में है क्योंकि इसे पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है.